शिवरात्रि का पावन पर्व अथवा सर्व महान उत्सव पुनः आ गया है। यह त्योहार आज की हमारी सर्वाधिक गम्भीर समस्या का हल भी हमें सुझाता है। कोई प्रश्न पूछ सकता है। कि त्योहार का समस्या के साथ क्या संम्बन्ध है। कहावत भी है। कि परिस्थितियाँ ही महापुरुषों के बस से बाहर हो गयी होगी तभी तो वे परमपुरुष (परमात्मा) शिव के अवतरण को लाई होगी। फिर रात्रि शब्द का तो प्रयोग ही विकट परिस्थितियाँ के लिये होता है। घटाटोप काली रात्रि भयावह होती है। अन्धेरे मे मनुष्य को कुछ सूझता नही मंजिल पर पहुँचने का मार्ग ही दिखाई नही देता। अतः त्योहार के नाम पर रात्रि शब्द के प्रयोग से ही सिद्ध है। कि परमात्मा का अवतरण तब हुआ होगा जग समूचा मनुष्य समाज ऐसी उलझनों में फँसा होगा कि उन समस्याओ का समाधान नही मिलता होगा