छत्तीसगढ़ के किसान एक बार फिर टमाटर की फसल को सड़कों में फेंकने को मजबूर है। किसानों का कहना है कि मंडी में पहुंचाने के बाद भी उनकी लागत नहीं निकल पा रहे है। उन्हें टमाटर की फसल बेचने से नुकसान हो रहा है। मंडी में किसानों को 60 से 90 रुपए तक कैरेट टमाटर की कीमत मिल पा रहा है। अगर ऐसा ही रहा तो किसान फसल को खेत में सड़ने के लिए छोड़ देगा।
भास्कर ने सुपेला आकाश गंगा सब्जी मंडी में पहुंचने वाले किसान से बात किया है । यहां राजनांदगांव जिले से टमाटर लेकर पहुंचे किसान भूपेंद्र मेहता ने बताया कि किसान अपनी लागत तक नहीं निकाल पा रहा है। खेत से मंडी तक भेजने में जो लागत लगती है वह भी नहीं निकल पा रही है। बिचौलियों द्वारा 4-5 रुपए किलो में टमाटर मांगा जा रहा है। मंडी के दलाल बैगन और लौकी लेने को तैयार नहीं है। किसान बैंक से लोन लेकर फसल लगाता है। इसके बाद उसे लेबर को भी पैसा देना पड़ता है। फसल तैयार होने के बाद वह अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहा है। यही हालत रहे तो किसानों को आत्महत्या करने को मजबूर होना पड़ेगा। किसान टमाटर सहित अन्य सब्जी को तोड़ने की जगह खेत में ही सड़ने देगा।