बेतिया: जन सुराज संवाद पदयात्रा के 38 वें दिन मंगलवार को प्रशांत किशोर ने बैरिया प्रखंड के तधवा नंदपुर स्थित पदयात्रा शिविर में मीडियाकर्मियों से वार्ता किया। प्रशांत किशोर ने यात्रा के क्रम में समस्यायों की चर्चा करते हुए प्रशांत किशोर ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों को बालू और गिट्टी की उपलब्धता नहीं होने की वजह से सरकार से मिली किश्त की सारी रकम खुद ही देनी पड़ती है। पदयात्रा का अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि हमने देखा की बिहार की ग्रामीण सड़कों की स्थिति लालू के जंगलराज जैसी ही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘जन सुराज संवाद पदयात्रा में लगभग 20 से 25 किमी की दूरी प्रतिदिन तय कर रहे हैं। 3-4 दिन पर वो एक दिन रुक कर पदयात्रा के दौरान जिन गांवों और पंचायतों से वो गुजर रहे हैं, वहां की समस्याओं का संकलन करते हैं। जिससे पंचायत आधारित ब्लूप्रिंट बना कर उनकी समस्याओं का समाधान निकाला जा सके।
बिहार की विकल्पहीन राजनीति होने से लोग दूसरी पार्टी को हराने के लिए वोट कर रहे हैं: प्रशांत किशोर
मीडिया के प्रश्न का उत्तर देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, ‘बिहार की राजनीति में एक अच्छा विकल्प न होने से लोग अपनी समर्थित पार्टियों को वोट नहीं करते जिसके वो समर्थक हैं, बल्कि लोग दूसरी पार्टी को हराने के लिए वोट कर रहे हैं’। आगे उन्होंने बताया कि 13 नवंबर 22 को जन सुराज संवाद अभियान के पश्चिम चंपारण जिला का अधिवेशन बेतिया में होगा। जहां जिला के जन सुराज अभियान से जुड़े सभी लोग उपस्थित रहेंगे और लोकतांत्रिक विधि से वोटिंग के माध्यम से तय करेंगे कि दल बनना चाहिए या नहीं। साथ ही पश्चिम चंपारण जिला के सभी बड़ी समस्याओं पर भी मंथन कर उसकी प्राथमिकताएं और समाधान पर निर्णय होगा। पंचायत स्तर पर समस्याओं और समाधान का ब्लूप्रिंट भी तैयार किया जाएगा।
पश्चिम चंपारण में 277 रुपए की यूरिया 1200 रुपए में भी अनुपलब्ध : प्रशांत किशोर
पश्चिम चम्पारण जिला की समस्याओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा करते हुए प्रशांत किशोर ने बताया कि अनाधिकार अधिनियम लागू नहीं होने के कारण, जो पत्थर तोड़कर गिट्टी बनाने का काम चलाते रहे, अब समाप्त हो चुका है। जिसके कारण लोगों को को रोजगार की उपलब्धता नहीं हो पा रही है। इस कारण से लोग 12-15 हजार की नौकरी के लिए लद्दाख से लेकर केरल तक जाने को विवश हैं। उन्होंने कहा कि पदयात्रा के क्रम में किसानों ने उन्हें बताया कि जिला में यूरिया की जो मूल्य लागत ₹277 है, उसका उन्हें 800-1200₹ तक देने पड़ते हैं। लेकिन लोगों को इससे भी बड़ा कष्ट है कि 1200 रुपये देकर भी किसानों को समय पर यूरिया नहीं मिल पाता।
जिला अंतर्गत चीनी मिलों की धांधली पर चर्चा करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि मिलों में गन्ना तौलते समय किसानों के गन्नों में 5 क्विंटल तक वजन कम कर दिया जाता। इतना ही नहीं पश्चिम चंपारण में बीते 30-35 वर्ष में लगभग सवा लाख लोग ऐसे हैं जिन्हें अलग सरकारों ने जमीन का पट्टा दिया है लेकिन जमीन का मालिकाना हक उन्हें आज तक नहीं मिला है, यह विडंबना नहीं तो क्या है..?