Sat. Jul 27th, 2024

भिलाई. दल्ली राजहरा से भिलाई इस्पात संयंत्र के लिए हर दिन आयरन ओर रेलवे के रैक से लाया जाता है। प्रतिदिन रेलवे का 3 से 5 रैक रॉ-मटीरियल लेकर दल्ली से बीएसपी के लिए आता है। रैक से आयरन ओर लाते वक्त ट्रैक पर मिट्टी और पत्थर गिरता है। गिट्टी के नीचे मिट्टी और धूल जमने से रेलवे ट्रैक का कुशन खत्म हो गया है। ट्रैक को वापस नया करने के लिए इन गिट्टी के नीचे जमा हो गए मिट्टी और धूल की सफाई की जा रही है। इस काम को गिट्टी सफाई मशीन (बीसीएम) से किया जा रहा है। जिसमें लगी छन्नी से धूल और मिट्टी को गिट्टी से अलग कर दिया जाता है। अलग किए गए मिट्टी और धूल को बाद में हटा दिया जाता है।

हर 8 साल बाद करते हैं सफाई
बीएसपी के लिए दल्ली से दशकों से नियमित तौर पर आयरन ओर की आपूर्ति की जा रही है। इस वजह से जल्दी-जल्दी धूल और मिट्टी इस ट्रैक में एकत्र हो जाती है। रेलवे करीब 8 से 10 साल में दल्ली और मरोदा के मध्य बिछे ट्रैक की गिट्टी की सफाई करवाता है। इस वक्त भी यह काम किया जा रहा है। 12 माह से चल रहा काम
मरोदा से दल्ली राजहरा के मध्य 76 किलोमीटर लंबी रेलपांत की गिट्टी को साफ किया जा रहा है। मरोदा से करीब एक साल पहले इस कार्य को शुरू किया गया था। अभी और काम शेष है। दुर्ग और बालोद जिला में इस काम को किया जा रहा है। इस काम को रेलवे की टीम लगातार मौके पर रहकर अंजाम दे रही है। अभी भी पेंच वर्क का काम शेष है। जिसकी वजह से टीम कार्य को पूरा करने में जुटी है।

हर दिन मिलता है 2 से 3 घंटे का ब्लॉक
गिट्टी सफाई का काम करने में लगी रेलवे टीम को हर दिन 2 से 3 घंटे का ब्लॉक मिलता है। इस दरमियान ही कर्मी मशीन लगाकर काम शुरू करते हैं। 3 घंटे का काम पूरा होने के बाद अगले दिन का इंतजार करने में टीम जुट जाती है। इस तरह से काम किया जा रहा है। 3 घंटे का समय मिलने से इस मशीन के सहारे करीब 350 मीटर रेलवे ट्रैक की गिट्टी को साफ कर दिया जाता है। वहीं अगर 1 घंटा का समय मिलता है तब करीब 200 मीटर तक बिछे गिट्टी की सफाई कर दी जाती है। इस काम के पूरा होने के बाद पटरी की लाइफ बढ़ जाती है।

बड़ी टीम जुटी है काम में
गिट्टी सफाई के काम में रेलवे के करीब 30 नियमित कर्मचारी और अधिकारी जुटे हैं। इसी तरह से करीब 25 से 30 ठेका मजदूर भी काम कर रहे हैं। रेलवे के नियमित कर्मी जहां तकनीकी काम को अंजाम दे रही है। वहीं ठेका मजदूर शारीरिक श्रम वाले काम कर रही है। रेलवे की टीम मौके पर ही ठहरती है। जिससे ब्लॉक मिलते ही तुरंत काम शुरू किया जा सके। अक्सर रात में ही ब्लॉक मिलता है। तब टीम ब्लॉक मिलने से पहले मशीन के साथ तैयार रहती है। बिना झटका के चलेगी ट्रेन
गिट्टी की सफाई और ट्रैक मेंटनेंस का काम पूरा होने के बाद इस राह से गुजरने वाली ट्रेन बिना झटका के आसानी से गुजर जाएगी। वहीं ट्रैक की लाइफ भी इससे बढ़ जाती है। यही वजह है कि दस साल में एक साल इसके मेंटनेंस के नाम पर दिया जाता है। रेलवे अपने कर्मचारी और ठेका मजदूरों के माध्यम से इस काम को अंजाम देगी।

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