उसमा भरी गर्मी से राहत, लेकर पावस आई है।
धरती का श्रंृगार करें हम, यही संदेशा लाई है।।
वृक्षा – वनस्पति उगा -उगाकर, धरती को हरियाली दें। सुषमा- सौंदर्य भारा हो जिसमें, धरती फूलों वाली दें। इसी कार्य में लग जाए अब, तरुणों की तरुणाई हैं।।
हरियाली धरती माँ को, हमे ओढ़नी पावन है। रक्षाबंधन पर्व हमारा, लाता पूनम का सावन है।
युवा शाक्ति की यही साधना, परिवर्तन अँगड़ाई।।
वृक्ष हमें अपना सब देते, इनके बिना नहीं जीवन। गमलों में हरियाली भर दें, और बढ़ाएँ वन उपवन।
यही भाव लेकर सावन की मचल रही पुरवाई है।।
स्मारक हम युग ऋर्षि का , वृक्ष लगाकर खड़ा करें। नही लगाएँ मात्र वृक्ष ही, पालें पोषें बड़ा करें। वृक्ष हमारे परम हितैषी, ऋषियों ने महिमा गाई है।।
रोशन लाल साहू