बेतिया: ऋषि पंचमी व्रत भाद्र माह के शुक्ल पक्ष पंचमी को मनाया जाता है। इस वर्ष 01 सितम्बर 2022 गुरुवार को है। जीवन में जाने अनजाने गलतियां होती रहती हैं, उन्हीं गलतियों से हम प्रभावित नही (मुक्त) हों इसके लिए किए जाने वाले उपक्रम को हमारे ऋषियों ने दिया है। मानव जब गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करता हैं तब दाम्पत्य सुख में रखता है, अनुभव हीनता या मनोभव की तीव्रता के कारण या अनजाने में नैसर्गिक अशुचि अवस्था में यदा कदा कुछ ऐसे कर्म कर बैठते हैं, जो अलाभकारी होता है। उससे निवृत्ति को ऋषियों की वाणी धर्मशास्त्र का अध्ययन, श्रवण, मनन, चिन्तन की प्रेरणा प्राप्ति को ऋषि पंचमी व्रत किया जाता है। उपर्युक्त दोष के कारण लोगों को पशु योनि में जन्म लेना पड़ता है, पहचान के अभाव में पुत्र से प्रताड़ित होना पड़ता है, फिर आपसी संवाद से पशु योनि में पड़े माँ बाप को बेटा बहू पहचानते हैं एवं अपने सुकर्म से उनका उद्धार करते हैं। ऐसी कथा इस व्रत में मिलती है, चिडचिडी के दंतुअन से मुंह (दांत) धोया जाता है, पूजा व कथा सुनकर तिना का चावल, तालाब के किनारे होने वाला करमी का साग, दही, सेंधा नमक का फलाहार किया जाता है। ऋषि पंचमी पर्व में ऋषि वशिष्ठ व सप्तर्षियों के साथ माँ अरुंधति की पूजा की जाती है। आचार्य मधुसूदन चतुर्वेदी बताते हैं कि हमारे पर्व धार्मिक अवश्य है, लेकिन उनके वैज्ञानिक अवधारणा भी हैं।