Sat. Jul 27th, 2024

आईपीसीसी ने दुनिया के देशो को एक बार फिर आगाह किया कि अगर वैश्विक उष्णता को औधोगिक काल से पूर्व की स्थिति में लाकर दुनिया को खत्म होने से बचाना है, तो बढ़ते तापमान को
1.5-2.0 ड़िग्री सेल्सियस पर रोकना होगा। इस दिशा मे पहला कदम होगा तापमान वृध्दि को सन् 2025 के बाद हर साल में नीचे लाना। विकाशसील देशो को इस दिशा में अपेक्षित आर्थिक मदद नही मिल रही है लेकिन भारत चीन इस स्थिति में हैं कि तकनीकी पर शोधकर ऊर्जा के लिए ग्रीनहाउस गैसो का खासकर कार्बन उत्सर्जन को काफी हद तक कम कर सकंे यह सच है कि भारत मे कोयला काफी है और अभी भी हम कोयले पर निर्भर है लेकिन पैनल का मानना है किसी सही विकल्प व उपकरण चुनकर इस उत्सर्जन को आधा किया जा सकता है। वैकिल्पिक ऊर्जा का प्रयोग करने से एक टन कार्बन उत्सर्जन कम करने मे मात्र 20 डाँलर खर्च होगा। भारत सरकार ने इस दिशा मे सराहनीय कोशिश शुरु कर दि हैं। दो दिन पहले केन्द्रय परिवहन मंत्री का ग्रीन हाइड्रोजन -चलित कार सक संसद आना इस प्रयास का प्रदर्शन था ।
किसानो व चीनी मिलो को लाभ होगा। भारत चीनी का आयात इस बार रिकाँर्ड नौ मिलियन टन हुआ है। दूसरी ओर गन्ने से इथेनोल बना किसानो को भी उत्पादन के लिए प्रेरित करता रहेगा और स्वच्छ विकल्पो पर गंभीरता से विचार करने की जरुरत है।

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