बाल्यकाल से ही ठाकुर प्यारेलाल सिंह स्वदेश प्रेमी और राष्ट्रीय विचारधारा से ओत प्रोत थे सन्1909 मे जब ठाकुर प्यारेलाल सिर्फ19 साल के थे, तब उन्होंने राजनांदगांव मे सरस्वती वाचनालय की स्थापना की। 1906 मे उन्होने मिड़िल स्कूल के छात्रा की हड़ताल का नेतृत्व किया 1914मे ठाकुर प्यारेलाल सिंह ने राजनांदगांव अन्यायपूण कार्यो व अत्याचारो के खिलाफ ,दीवान हटाओ आंदोलन का नेतृत्व किया । इन आंदोलनों का परिणाम हुआ कि वे युवको की प्रेरणा बन गए। सन्1915 मे राजनांदगांव मे वकालत के समय ही उन्होने 1916 बीएनसी मिल मजदूरो को संगठित करना शुरु किया । इन बीच 1920 महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन की घोषणा कर दी। बड़ी संख्या मे छात्रो ने भी स्कूल और काँलेज छोड़ दिए थे । इन छात्रो के लिए ठाकुर साहब ने 1920 मे राजनांदगांव मे राष्ट्रीय विधालय की स्थापना की।