Mon. Sep 15th, 2025

जीवन एक अनंत यात्रा है। कहने को तो हम कह देते है। कि कोई मानव पैदा हुआ या कोई मानव मर गया लेकिन वास्तविकता यह है। कि ना कोई मरता है ना कोई जन्मता है बल्कि यह पांच तत्व का शरीर अपने अवस्थाएं बदलता है। पहले जन्म फिर शैशव अवस्था बाल्यावस्था युवावस्था वृद्धावस्था तथा अन्त में मृत्यु के व्यवस्था है, उसके बाद आत्मा फिर गर्भ में आते हैं और पुनः वही चक्र शुरु हो जाता है। शरीर को धारण करने वाले आत्मा न जन्म लेते है। ना मरते है। आत्मा ही यात्री है। जो शरीर द्वारा यात्रा करते हैं।

Spread the love

Leave a Reply