Wed. Feb 5th, 2025

हम यों भी कह सकते है। कि जैसे एक छोटा बालक अपने लौकिक पिता के हाथ में हाथ देकर उसके साथ साथ जाता है। वैसे ही योग भी परमात्मा के साथ आत्मा का सहचर्य है। परमात्मा के हाथ देने का अर्थ है। उसके साथ पिता पुत्र का मानसिक नाता जोडना और पंग पंग पर उसी के साथ चलना और परमात्मा को अपना सहायक और साथी बनाना।

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