चमत्कारी कामयाबी और उसे लेकर मनाए जा रहे है। जश्न सें पे्ररित नही है। जैसे हम एंटरटेनमेंट सें लबरेज फिल्मे देखना पंसद करते है। उसी तरह सबसे पहले हमारी नजर राजनीति पर ही जाती है। इसलिए आइम हम वहां सें उभर रहे कुछ संकेतो को देखे। पहला संकेत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी कार्यकारणी की राष्ट्रीय बैंठक में फिल्मों जैसी मामूली चीजो पर बेवजह विवाद पैदा करने के लिए कार्यकर्ताओ की क्लास लगा दी दूसरा सकेंत में प्रधानमंत्री नें कहा कि पार्टी नेताओं को मुसलमानें में बोहरा समुदाय ( जिसकी जडें गुजरात में गहरी हैं)
जैसी जमातों खासतौर सें पसमांदाओं की ओर हाथ बढ़ाना चाहिए माना जाता है कि मुस्लिम आबादी में उनका अनुपात करीब 85 फीसदी है। एक बरसे से बीजेपी और संघ यह मानते आ रहे है कि मुसलमानों में उनके खिलाफ जों विरोध है। उसकी अगआई तथाकाथित अशरफ करते रहे है। जिन्हे कुलीन तबके का माना जाता है। इस तरह मुस्लिम आबादी को सामाजिक तथा आर्थिक आघारों पर बांटने की गंुजाइश दिखाई पड़ती है। यह उनके साथ जातिवादी राजनीति करने जैसा है। जो सेकुलरइ पार्टिया हिंदुओं के साथ करती रही है। प्रधानमंत्री नें अब इसे अपनी पार्टी के साथ सीधें संवाद में दाखिल कर दिया है। और यह एक महत्वपूर्ण घटना है। उनकी परर्टी आज उनके बोलों गतिविधियों मुद्राओ खीझो और मुस्कानो को इशारा मानकर जिस तरह काम कर रही है।