विशाल कुमार
नीलकंठ तुम नीले रहियो, दूध-भात का भोजन करियो, हमरी बात राम से कहियो’ उपर्युक्त लोकोक्ति का तात्पर्य यह है कि ‘नीलकंठ पक्षी’ को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का प्रतिनिधि माना गया है। दशहरा पर्व पर इस पक्षी के दर्शन को शुभ और भाग्योदय वाला माना जाता है। जिसके कारण दशहरा के दिन प्रत्येक व्यक्ति इस आस में छत पर जाकर आकाश को निहारता है कि उन्हें नीलकंठ पक्षी के दर्शन हो जाए। जिससे वर्ष भर उनके यहां शुभ कार्य का सिलसिला चलता रहे। इस दिन नीलकंठ के दर्शन होना फलदायी होता है, घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है एवं शुभ कार्य घर में अनवरत् वृद्धि होती हैं। सुबह से लेकर शाम तक किसी वक्त नीलकंठ दिख जाए तो वह देखने वाले के लिए शुभ होता है। कहते है श्रीराम ने इस पक्षी के दर्शन के बाद ही रावण पर विजय प्राप्त किया, विजय दशमी का पर्व जीत का पर्व है।दशहरा पर नीलकण्ठ के दर्शन की परंपरा बरसों से चली आ रही है। बताया जाता है कि लंका जीत के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम को ब्राह्मण रावण की हत्या अर्थात ब्रह्म हत्या का पाप लगा, भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण के साथ देवाधिदेव महादेव भगवान शिव की पूजा अर्चना किया, तत्पश्चात उन्हें ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिली। उसी क्रम में भगवान शिव नीलकंठ पक्षी के रुप में धरती पर उतरे।नीलकंठ अर्थात् जिसका गला नीला हो