मन संकल्प रचता है, ईव्श्ररीय ज्ञान से प्रकाशित बुद्धि तत्क्षण उस संकल्प को परख कर निर्णय लेकर अगर होने वाला है। तो सम्बन्धित कर्मेन्द्रिय को कार्य हेतु सौंप देती है। जैसे आखो द्वारा देखने का कार्य कानो द्वारा सुनने का कार्य मुख द्वारा बोलने का कार्य और हाथो द्वारा किए जाने वाले कार्य। कई आत्माएं संकल्प तो रच लेती है, लेकिन उन्हे कार्यान्वित नहीं कर पाती क्योकि या तो उनकी बुद्धि सही निर्णय नही ले पाती या होगा कि नही होगा ऐसे संशय में आकर छोड देती हैं या फिर आलस्यवश नही कर पाती हैं, जिससे उनका संकल्प रुपी बीज व्यर्थ चला जाता है।
संकल्पो में बहुत शक्ति हैं। कहा जाता है। ब्रहा्रा ने संकल्प से यह सृष्टिरची तो हम सोच सकते है। कि ब्रहा्रा का संकल्प कितना शक्तिशाली होगा। हमारे संकल्प श्रीमत के अनुरुप शक्तिशाली और विव्श्र कल्याण अर्थ होना चाहिएं। उनको कार्यान्वित करने के लिए बीसो नाखूनो का जोर लगाकर सफलता पांए।