मिट्टी की जांच उपरांत निर्धारित मात्रा में रासायनिक उर्वरक का प्रयोग करें किसान : डॉ. हिमांशु पाठक
रांची: कृषि प्रधान भारत में मृदा की उर्वरता के प्रति वैज्ञानिक काफी सचेत हैं। जिसको लेकर मिट्टी जांच उपरांत समुचित निर्धारित मात्रा में उर्वरक का प्रयोग करने का परामर्श वैज्ञानिक किसानों को देते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि अनियंत्रित और अनुचित मात्रा में रसायनिक उर्वरक के प्रयोग से खेत की उर्वरा शक्ति घट जाती है। पौधों को पोषक तत्व देने के लिए केवल रासायनिक खाद पर निर्भरता उचित नहीं, बल्कि जैविक खाद, गोबर खाद, केंचुआ खाद और जैव उर्वरक का उपयोग करना चाहिए। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने उपर्युक्त विचार कृषि विज्ञान केंद्र, मांडू, रामगढ़ में एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन को लेकर आयोजित प्रशिक्षण के दौरान किसानों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किया। महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक रांची से कृषि विज्ञान केंद्र, गौरियाकरमा में आयोजित किसान मेला में भाग लेने जाने के क्रम में उन्होंने थोड़ी देर के लिए मांडू के कृषि विज्ञान केंद्र में अपना बहुमूल्य समय दिया। उन्होंने कहा कि रासायनिक उरर्वक का अधिक प्रयोग करने से मिट्टी को क्षति पहुंच रही है। उन्होंने किसानों को अत्यधिक रसायनिक उर्वरक से बचने का परामर्श किसानों को दी। कार्यक्रम के दौरान महानिदेशक ने किसानों को मिट्टी जांच का महत्व और सूक्ष्म पोषक तत्व के उपयोग के बारे में कई महत्वपूर्ण तथ्यों से अवगत कराया। उन्होंने धान की खेती के अलावा किसानों को दलहनी खेती करने पर बल दिया। किसानों को मिट्टी जांच कराना अति आवश्यक बताया। इस अवसर पर पर भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान, रांची के निदेशक डॉ. सुजय रक्षित, राष्ट्रीय द्वितीयक कृषि संस्थान, नामकुम रांची के निदेशक डॉ. अभिजीत कर, कृषि विज्ञान केंद्र, रामगढ़ के प्रमुख डॉ. सुधांशु शेखर, डॉ. धर्मजीत खरवार और टीवीओ डॉ. मनोज झा उपस्थित रहे।
अनुसूचित जाति उप योजना अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र में किसानों के बीच चल रहा तीन दिवसीय प्रशिक्षण के अंतिम दिन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के निदेशक डॉ. अनुप दास ने शुक्रवार को किसानों को आभासी माध्यम से प्रशिक्षण दिया। इस क्रम में उन्होंने किसानों को अधिक आमदनी प्राप्त करने के लिए समेकित कृषि प्रणाली को अपनाने की बात कही। उन्होंने बताया कि धान की खेती के अलावा किसानों को दलहन, तिलहन के साथ मुर्गी पालन, बकरी पालन, सुकर पालन, मछली पालन और बागवानी की खेती करनी होगी। इससे किसानों को समय-समय पर अपने मेहनत का परिणाम मिलता रहेगा। यूं कहे तो समेकित कृषि प्रणाली किसानों के लिए एटीएम मशीन का काम करेगा। इससे किसान अपनी फसल को कभी भी अच्छी कीमत पर बेच सकते हैं। कार्यक्रम में उदलू गाँव के 35 किसानों ने भाग लिया।