Wed. Feb 5th, 2025
सात पहाड़ियों की विकट, दुरुह मार्ग से श्रद्धालु पहुंचते हैं, सोमेश्वर मंदिर, रामनगर के गोबर्धना स्थित जंगल के रास्ते विकसित होंगे
रामनर का नर्मदेश्वर महादेव मंदिर भी बनेगा पर्यटन स्थल, चम्पारण में सृजित होंगे रोजगार के अवसर 
APNI BAT
बेतिया : पश्चिम चम्पारण जिला में पर्यटन की असीम सम्भावनाएं है। शासन और प्रशासन को इस दिशा में करने होंगे सार्थक प्रयास। पर्यटन क्षेत्र के रुप में विकसित करने की आवश्यकता है। इस दिशा में आने वाली बाधाओं को दूर कर, सुलभ मार्ग, ठहरने और भोजन की समुचित व्यवस्था करने की आवश्यकता है। चम्पारण में पर्यटकों के लिए आकर्षित करने लिए सुगम और सुलभ मार्ग, सुरक्षित यातायात, व्यवस्थित आवासीय सुविधा विकसित करने की आवश्यकता है, जिससे पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके। बगहा अनुमंडल कार्यालय सूत्रों के अनुसार वीटीआर के साथ रामनगर के नर्वदेश्वर मंदिर व सोमेश्वर मंदिर को पर्यटन क्षेत्र से जोड़कर विकास किया जाएगा। सोमेश्वर पहाड़ के सात दुर्गम पहाड़ी मार्ग को पारकर दर्शन के लिए सुगम रास्ता तैयार किया जाएगा। जिसको लेकर बगहा अनुमंडल प्रशासन प्रस्ताव तैयार कर रहा है। उपर्युक्त जानकारी एसडीएम डॉ.अनुपमा सिंह ने दी। डॉ. सिंह ने बताया कि वाल्मीकिनगर में पर्यटन के बढ़ावा देने के लिए वीटीआर सहित वाल्मीकि नगर में कई पर्यटन केंद्र बनाए जा रहे हैं। इसी क्रम में वाल्मिकीनगर में कन्वेंशन सेंटर आदि का भी निर्माण अंतिम चरण में है। इसके अलावा सोमेश्वर मंदिर एवं नर्मदेश्वर मंदिर को भी पर्यटन से जोड़ने को लेकर उसका मैप तैयार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सोमेश्वर तक आने जाने का रास्ता सुगम हो, इसको लेकर अनुमंडल प्रशासन कार्य योजना तैयार कर रहा है। उसके बाद प्रस्ताव को पर्यटन विभाग को भेजा दिया जाएगा। सोमेश्वर मंदिर वा नर्वदेश्वर मंदिर का भी विकास किया जाएगा। जिससे वाल्मीकिनगर आने वाले पर्यटक जंगल भ्रमण के दौरान सोमेश्वर मंदिर व नर्मदेश्वर मंदिर का भी दर्शन कर सकें।
सात पहाड़ियों की चढ़ाई कर श्रद्धालु पहुंचते हैं सोमेश्वर मंदिर
फिलहाल श्रद्धालुओ को सोमेश्वर मंदिर दर्शन के लिए जोखिम भरी ऊंची पहाड़ियों समेत कठिन, दुर्गम मार्ग से गुजरना पड़ता है। इस मंदिर पर जाने के लिए श्रद्धालुओं को लगभग छोटी-बड़ी सात पहाड़ियों को पार करना पड़ता है। जंगल के दुर्गम रास्ते एवं पहाड़ी कठिन, संकीर्ण रास्तों को पार करने में श्रद्धालुओं को काफी परेशानी होती है। सोमेश्वर मंदिर के मार्ग में जल प्रपात (वाटर फॉल) का मनोरम दृश्य दृष्टिगोचर होता है। कहीं कहीं मनोरम, झरना, कलकल बहती नदी, हरे भरे वृक्ष अच्छादित वन काफी मनोरम दृश्य उत्पन्न करते हैं। उपर्युक्त नयनाभिराम दृश्य श्रद्धालुओं व पर्यटकों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करते हैं। अगर सोमेश्वर जाने के रास्ते सुगम हो गए तो परेवादह क्षेत्रों का भी विकास होगा एवं पर्यटक बढ़ेंगे तो क्षेत्रीय लोगों को रोजगार व व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा।
सोमेश्वर धाम के लिए वर्ष में एकबार चैत्र माह की नवमी के लिए 10 दिनों की यात्रा होती है
सोमेश्वर मंदिर जाने के लिए श्रद्धालुओं को एक वर्ष का इंतजार करना पड़ता है। कारण है कि सोमेश्वर मंदिर का रास्ता एवं उसकी यात्रा चैत्र नवरात्र के समय महज 10 दिनों के लिए ही वन विभाग की अनुमति से मिलती है। इसके बाद इस रास्ते को बंद कर दिया जाता है। क्योंकि यह रास्ता टाइगर सेफ जोन में पगडंडी की भांति है। ऐसे में सोमेश्वर मन्दिर जाने वाले श्रद्धालुओं को रॉयल बंगाल टाइगर के दर्शन, सोमेश्वर मंदिर के दर्शन के पूर्व हो जाती है, जिसके लिए पूरे एक वर्ष की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। यदि उपर्युक्त मार्ग सुगम एवं सुलभ हो गए तो श्रद्धालु एवं पर्यटक लगातार उपर्युक्त मंदिर का दर्शन कर पाएंगे। जिससे क्षेत्रीय युवाओं को रोजगार और पर्यटन विभाग के माध्यम से सरकार को अच्छी राजस्व प्राप्त होगी।
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By Awadhesh Sharma

न्यूज एन व्यूज फॉर नेशन

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