“ध्यान की अनुभूति एवं उपयोगिता” विषयक कार्यक्रम आयोजित
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दरभंगा । प्रथम ‘विश्व ध्यान दिवस’ पर शनिवार प्रातः काल में दरभंगा इंजीनियरिंग कॉलेज के सेमिनार हॉल में प्रधानाचार्य डॉ संदीप तिवारी की अध्यक्षता में “ध्यान की अनुभूति एवं उपयोगिता” विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि पीएचसी सदर दरभंगा के प्रभारी मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ उमाशंकर प्रसाद, मुख्य वक्ता ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के एनएसएस पदाधिकारी डॉ आर एन चौरसिया तथा विशिष्ट अतिथि आनंद मार्ग स्कूल, रानीपुर, दरभंगा की प्राचार्या अवधूतिता आनंद अनिमा आचार्य तथा मुख्य प्रशिक्षक एवं योगाचार्य डॉ शंभू मंडल ने विचार व्यक्त किया। दीप प्रज्वलित कर उद्घाटित कार्यक्रम में कॉलेज के 170 से अधिक विद्यार्थी उपस्थित रहे, जिन्हें ध्यान का डेमो करते हुए डॉ शंभू ने अभ्यास कराया। अतिथियों का स्वागत पाग, चादर एवं पुस्तक प्रदान कर किया गया। कुमारी तिलोत्तमा के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत डीन एकेडमी प्रो चंदन सिंह ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन सदर दरभंगा की योग प्रशिक्षिका कुमारी पूनम मंडल ने किया। अध्यक्षीय संबोधन में डॉ संदीप तिवारी ने कहा कि ध्यान हमारे अंदर के ईर्ष्या, द्वैष, क्रोध, लोभ, मोह तथा भय आदि को नियंत्रित कर जीवन को व्यवस्थित करता है तथा समाज में भाईचारा लाता है। इसके अभ्यास से हम जीवन की चुनौतियों का आसानी से सामना भी कर सकते हैं। मुख्य अतिथि डा उमाशंकर प्रसाद ने कहा कि तकनीकी संस्थानों के छात्र तनाव एवं अवसाद में आत्महत्या तक भी कर रहे हैं। भौतिकता के कारण नींद नहीं आने पर लोग दवा ले रहे हैं। उन्होंने आह्वान किया कि लोग प्रतिदिन ध्यान कर ही अपने दिनचर्या प्रारंभ करें, ताकि वे तनाव या अवसाद से दूर रह सकें। ध्यान शारीरिक एवं मानसिक विश्राम है, जिससे अनेक रोगों का निदान भी होता है। विशिष्ट अतिथि आनंद अनिमा आचार्या ने अष्टांग योग के आठ अंगों की विस्तृत चर्चा करते हुए सातवें अंग ध्यान का विशेष वर्णन किया तथा कहा कि 6 अंगों के निरंतर अभ्यास से ही ध्यान का अभ्यास एवं पूर्ण लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
मुख्य वक्ता डॉ आर एन चौरसिया ने कहा कि ध्यान लगाना हमारी प्राचीन प्रथा है, जिसकी उपयोगिता दिनानुदिन बढ़ती जा रही है। यह आत्मज्ञान, आंतरिक शक्ति तथा मानसिक स्थिरता प्राप्ति का एक माध्यम है, जिसका उद्देश्य मानसिक विचलनों को नियंत्रित करना, तनाव- प्रबंधन तथा मन को स्थिर एवं आनंदमय स्थिति में ले जाना है। ध्यान हमारी रोग- प्रतिरक्षण प्रणाली को मजबूत कर जीवन के उद्देश्यों को समझने में भी मदद करता है। उन्होंने बताया कि ध्यान में मन को एक बिन्दु, विचार, मंत्र, श्वास या किसी एक चीज पर केन्द्रित किया जाता है, जिसके दौरान भूत या भविष्य के विचारों का त्याग कर वर्तमान समय में रहने का अभ्यास किया जाता है। डॉ चौरसिया ने बताया कि 2024 में ‘विश्व ध्यान दिवस’ का थीम “आंतरिक शांति, वैश्विक सद्भाव” रखा गया है। दरभंगा सदर प्रखंड के योग- प्रशिक्षक सह कार्यक्रम के संयोजक डॉ शंभू मंडल ने ध्यान की उपयोगिता को विस्तार से बताते हुए कहा कि इसका अभ्यास हमें सकारात्मक भावनाओं से युक्त कर हमारी एकाग्रता, स्मृति तथा मनोबल को बढ़ता है तथा हमें हमेशा तरोताजा रखता है। इससे रक्तचाप, हृदय रोग, डिप्रेशन, तनाव नियंत्रित रहते हैं। उन्होंने कहा कि बीमार व्यक्ति भी ध्यान के अभ्यास से रोगों से लड़ने में समर्थ हो जाता है। इससे व्यक्ति की भावात्मक स्थिरता, रचनात्मकता तथा प्रसन्नता में वृद्धि होती है।