दीवाली कों घर घर दीप जलाओ।।
मनमुटाव के मकड़जाल को प्रेम की झाडू लगाओ।
आत्मा ज्ञान के डिस्टेंपर से जीवन भवन पुताओ।।
दिव्य ज्ञान गंगा के जल से सारा भवन धुलाओ।
दिव्य गुणो की बंदनवारे द्वार द्वार बंधवाओ।।
पंचतत्व सोने का दीपक ज्ञान घृत से भराओ।
भावो की बाती में दृढ़ संकल्प की अगन जलाओ।।
पवित्रता लक्ष्मी पूजन कर सुख संपन्न बन जाओ।
शिवज्ञान दीपक रोशन कर सब अंधकार मिटाओ।।
मुरलीधर की ज्ञान मुरलिया सुनो और सुनाओ।
निज आत्मा की ज्योति जगा कर सब की ज्याति जगाओ।।
दृष्टि वृत्ति पवित्र बनाकर बहनों की लाज बचाओ।
कुसंस्कारो को परिवर्तन कर विजय का तिलक लगाओ।।
पे्रम से मीठे मधुर वचन की रोज मिठाई खाओ।
दिव्य गुणों को धारण करके सच्चे द्विज कहलाओ।।
दीवाली को घर घर दीप जलाओ।