परमात्मा कहते है। कि युद्धग्रस्त लोगो की मदद करना चाहते हो तो अपने को शुद्ध आत्मा समझ माया अर्थात 5 विकारों से मुक्त करो। जितना जितना मन के अन्दर माया अर्थात् बुराईया पर जीत होता जाएगा दुनिया में युद्ध बन्द होते जायेगा। माया पर विजय प्राप्त होते ही दोनो ही प्रकार के युद्ध हमेशा के लिए शांत हो जायेंगे। बुराई का विरोध करने से बुराई और बढ़ते है। बुराई को देखने से बुराई और बढ़ती है। जहां ध्यान जाता है। ऊर्जा भी वहीं जाते है। अच्छाई का साथ देेने से अच्छाई बढ़ते है। जो दुखी होता है। उसके द्वारा ही दुख मिलता हैं। जो सुखी होता हैं उससे सुख मिलता हैं।
इस सिद्धांत से हम समझ सकते हैं कि जिसके द्वारा अत्याचार हो रहा हैं वे भी अन्दर से कितने पीडा में रहता है। ऊपर से भले टिपटाँप दिखता हैं परन्तु अन्दर से बहुता दुखी होता है। जिस पर अत्याचार हो रहे हैं वे तो ही रहे दुख। यदि चाहते हैं कि लोग दुख से मुक्त हो तो अपने मन को एकदम शुद्ध करना होगा। मन चंगा तो कठौती में गंगा हमारे मन में सुख चैन होगा तब दुसरो को भी दे पाएंगे।