Sun. Sep 8th, 2024

पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र में चाचा भतीजी का हृदयस्पर्शी चुनावी संघर्ष

पाटलिपुत्र लोकसभा में रामकृपाल की हैट्रिक और मीसा की संसदीय यात्रा को प्रचार परवान चढ़ा

पटना : पाटलिपुत्रा संसदीय क्षेत्र में क्या इस बार कांटे की टक्कर होगी.…? चाचा-भतीजी मे चुनावी संघर्ष का परिणाम क्या होगा, यह तो एक जुन 2024 को पड़े दबाव से स्पष्ट होगा। प्रचण्ड गर्मी के बावजूद वातानुकूलित भवन व गाड़ी में रहने वाले प्रत्याशियों को जन सम्पर्क करना पड़ रहा है। लोकतंत्र की वास्तविक तस्वीर जनसंपर्क में दृष्टिगोचर होता है। वैसे पाटलिपुत्र में विजय चाचा की हो या भतीजी की जनता के बीच हमेशा बने रहेंगे दोनों। चुनाव प्रचार जैसे जैसे परवान चढ़ रहा है वैसे ही धीरे धीरे राजनीति गलियारों में चर्चा का दौर जारी है। 01 जून 2024 की तिथि जैसे जैसे करीब आती जा रही है, वैसे वैसे राजनीतिक बुखार चढ़ता जा रहा है। पटना में हीट वेव की भांति राजनीतिक पारा भी चढ़ता जा रहा है। बिहार में सभी 06 चरण के चुनाव पूरे हो चुके हैं, अब सातवां व अंतिम चरण का चुनाव 01 जून 2024 को सम्पन्न होने जा रहा है पहले और छठे चरण के मतदान के बाद लोकसभा चुनाव में कई तरह की चर्चा का दौर जारी है। एनडी और इंडि गठबंधन के कार्यकर्ता जोड़ घटाव में व्यस्त हैं। सभी अपने-अपने गठबंधन की जीत का दावा करते दिख रहे हैं। एक तरफ इंडी गठबंधन के राजद के छोटे बड़े कार्यकर्ताओ और नेताओं का कहना है कि इंडि गठबंधन छव चरण के मतदान उपरांत पूरी तरह से एनडीए का सफाया करने जा रहा है। लगभग सभी सीटों पर जीत के दावे ठोके जा रहे हैं।  दूसरी तरफ एनडी गठबंधन के छोटे बड़े नेताओं और राजनीति कार्यकर्ताओं के अपने अलग तरह के दावे हैं, वे एनडी गठबंधन को छव चरण के मतदान में बहुमत प्राप्त कर लेने का दावा करते नहीं थक रहे हैं।

विगत छव चरण में हुए लोकसभा चुनाव चुनाव के बाद इंडी गठबंधन का बड़ा धड़ा राजद नेता काफी उत्साहित (बुलंद) हैं। इंडि गठबंधन की राजद प्रत्याशी राज्यसभा सांसद डॉ मीसा भारती भी स्वयं को कार्यकर्ता कहकर अपने समर्थकों के साथ सघन प्रचार अभियान में जुटी हुई है। प्रचार व सघन जन सम्पर्क अभियान में जुटे कई राजद के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने पार्टी को काफी बढ़त बनाए होना बता रहे हैं।

पलट इसके दूसरी तरफ एनडी गठबंधन के भाजपा प्रत्याशी निवर्तमान सांसद रामकृपाल यादव के चुनावी जीत सामान्य होने की चर्चा है। एनडीए कार्यकर्ता व नेता इस बार के चुनाव को चुनौती विहीन बताने की चर्चा सरेआम हो रही है। निवर्तमान सांसद रामकृपाल यादव की चुनौतियां काफी बड़ी हैं, उनका हैट्रिक चांस है। इसलिए चुनौतियों का सामना तो करना ही पड़ेगा। उनकी लोकप्रियता की काफी परख भी इस चुनाव में होगी? लोकसभा चुनाव को तीसरी बार जितना आसान नहीं होता है, इस लिए चुनौती कम नही होगी? इसमें कार्यकर्ता व आमजन की अपेक्षाएं भी बड़ी होती हैं। निवर्तमान सांसद से लोगो की कई तरह की अपेक्षाएं, जबकि उनकी की गई, उपेक्षाए भी पीछा छोड़ती नज़र नहीं आ रही है। उनसे निबटना भी कम जोखिम भरा काम नही होगा? पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र की जनता रामकृपाल यादव के कार्यो की मूल्यांकन भी कर रही है। वैसे एनडी गठबंधन भी अपनी जीत के बड़े दावे हैं। मोदी सरकार और मोदी मैजिक की उम्मीदें, राम नाम के सहारे रामकृपाल की नैया पार होने की उम्मीदें है।
वैसे कुछ भी हो, पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र में सातवें चरण में 01 जून 2024 को मतदान होने वाले हैं। इस कारण दोनों गठबंधन के कार्यकर्ता व प्रत्याशियों को पर्याप्त समय चुनाव प्रचार प्रसार के लिए मिल रहा हैं। चुनाव प्रचार अभियान पहले दौर के चल रहे इस प्रारंभिक प्रचार में विशेषकर पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र में राजद गठबंधन बढ़त बनाए हुए हैं। जिसके कारण कार्यकर्ताओं में विशेष उत्साह है।

दूसरी तरफ एनडी गठबंधन में अभी तक कोई बड़े पैमाने पर प्रचार प्रसार अभियान की तस्वीरें सामने नहीं आ रही है। जिससे आशंका व्यक्त की जा रही है कि मनोवैज्ञानिक रुप से राजद प्रत्याशी डॉ मीसा भारती अभी बढ़त परिलक्षित है। जैसे जैसे समय बीतेगा राजनीतिक सर्गर्मिया बढ़ेगी, उतार चढ़ाव भी परिलक्षित होंगे, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। दिन प्रतिदिन राजनीतिक समीकरण बनते बिगड़ते रहेंगे। अब देखना यह है कि पाटलिपुत्र की जनता आखिर मे बाजी किसके हाथ में देती है। पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र के विकास की कुंजी जनता किसके हाथ सौंपेगी यह तो वक्त बताएगा। लेकिन इतना तय है कि राजनीतिक घमासान के साथ जीत के अपने अपने दावे प्रति दावे आरोप प्रत्यारोप का दौर खूब चल रहा है।
दोनों गठबंधन के मतदाता भी कम जांच परख नहीं करेंगे? राजद और भाजपा गठबंधन दोनों अपने पारम्परिक मतदाताओं की बहुमत का दावा कर रहे है, लेकिन न्यूट्रल मतदाता है, वे जिस तरफ जाएंगे, संसद में वही प्रत्याशी पहुंचेगा। अब देखना है कि उदासीन मतदाता भतीजी का साथ देता है या चाचा की हैट्रिक बनाने देता है। उदासीन (न्यूट्रल) मतदाता सोच समझ कर जिस तरफ जायेंगे उसकी जीत सुनिश्चित होगी।

एनडीए के लिए यह भजन शांति प्रदान करता है
“रामजी लगाएंगे बेड़ा पार, उदास मन काहे को डरे रे”

इंडिया के लिए “ये इश्क नहीं आसां, आग का दरिया है और डूब कर जाना है”

दोनों चुनाव में परिश्रम कराने को बाध्य करेंगे, चुनाव प्रचार गुरुवार को थम जाएगा।

 

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By Awadhesh Sharma

न्यूज एन व्यूज फॉर नेशन

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