Sun. Sep 8th, 2024

हमारा भारत एक ऐसा देश है। जहाँ विभिन्न अवसरों, उत्सवो तथा देव मन्दिरो में अनेक नारी रत्नो की पूजा किया जाता   है। इन नारी रत्नों का संम्बन्ध हमारे अतीत के कडियो से जुड़ा है। प्राचीन भारत के संस्कृति महान थे। और यहा नारियों का ऊँचा ही नही अपितु आदरणीय एवं पूजनीय स्थान भी प्राप्त था। मध्यकाल में कुछ ऐतिहासिक, धार्मिक व सामाजिक कारणो वंश नारी का अधोपतन हुआ और स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद नारी जाति के अभ्युत्थान पर पुनः गंभीर रुप से विचार किया गया क्योकि नारी जाति को ऊँचा उठाये बिना देश को ऊँचा उठाना असम्भव है।

कोई देश अथवा समाज कितना उन्नतिशील है। यह वहाँ नारी समाज की बवस्थाओं से आंका जा सकता है। जिस देश में विदुषी चरित्रवान एवं सद्गुण सम्पन्न नारियाँ होगी। वह देश निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर होता रहेगा क्योकि नारी समाज की धुरी एव संस्कृति की रक्षक है।

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