Sun. Sep 8th, 2024

बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कृषि जैव प्रौ‌द्योगिकी महाविद्यालय के कुलपति डॉ डी.आर.सिंह के दूरदर्शी नेतृत्व में 09-10 अप्रैल 2024 को नव नियुक्त सहायक प्रोफेसर सह जैव प्रौ‌द्योगिकी के जूनियर वैज्ञानिक के लिए दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया। जिसमें अभिनंदन और व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किया गया। उपर्युक्त कार्यक्रम के साथ “भविष्य के औषधीय एवं सुगंधित पौधों (एमएपी) में नवाचारः सतत कृषि और आर्थिक प्रभाव के लिए जैव प्रौ‌द्योगिकी का उपयोग” विषय पर एक विचार-मंथन सत्र (विचार गोष्ठी) भी आयोजित किया गया। इस अवसर पर प्रसिद्ध जैव प्रौ‌द्योगिकी वैज्ञानिक और राष्ट्रीय पौध जैव प्रौ‌द्योगिकी संस्थान, (आईसीएआर) ICAR के पूर्व निदेशक प्रो.आर.श्रीनिवासन मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने पादप जैव प्रौ‌द्योगिकी, पर्यावरण जैव प्रौ‌द्योगिकी, जैव सूचना विज्ञान विभाग के नव नियुक्त फैकल्टी सदस्यों व उपस्थित श्रोताओं का ज्ञानवर्धन किया। इस क्रम में वरिष्ठ फैकल्टी सदस्य पादप शरीर विज्ञान और जैव रसायन और आणविक जीव विज्ञान और आनुवंशिकी इंजीनियरिंग विभाग के सदस्य, स्नातक और परास्नातक विद्यार्थी उपस्थित रहे। प्रो.श्रीनिवासन ने ट्रांसजेनिक, आनुवंशिक रूप से संशोधित पौधों की प्रजातियों और एंजाइम प्रौ‌द्योगिकी जैसे उन्नत जैव प्रौ‌द्योगिकी विषयों के अनुप्रयोग को कवर किया, जो नए कीट प्रतिरोधी, जलवायु अनुकूल किस्मों के विकास के लिए सहायक हो सकते हैं, जो किसानों की आजीविका के उत्थान में मदद कर सकते हैं। भारत और अन्य देशों की बढ़ती जनसंख्या को भोजन उपलब्ध कराने की चुनौती का भी समाधान कर सकते हैं। पूरा वैज्ञानिक सत्र बहुत ही interactive (संवादात्मक) रहा, और विभिन्न महाविद्यालयों जैसे बिहार कृषि महावि‌द्यालय, सबौर, डॉ कलाम कृषि महावि‌द्यालय (डीकेएसी), किशनगंज, नालंदा कृषि महाविद्यालय (एनसीएच), नूरसराय, वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय (वीकेएससीए), डुमरांव के वैज्ञानिक और विद्वान, जो इस कार्यक्रम में भाग लेने आए, उन्होंने भारत और बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और अमेरिका जैसे अन्य देशों में विकसित ट्रांसजेनिक पौधों जैसे बीटी बैंगन, बीटी पपीता और गोल्डन राइस की स्वीकार्यता के अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा किया। प्रो.श्रीनिवासन ने अपने 40 से अधिक वर्षों के शिक्षण और शोध अनुभव को साझा किया और मानव संसाधन के विकास और राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका के महत्व पर बल दिया।

कार्यक्रम के दूसरे दिन सीएबीटी द्वारा “भविष्य के औषधीय एवं सुगंधित पौधों (एमएपी) में नवाचारः सतत कृषि और आर्थिक प्रभाव के लिए जैव प्रौ‌द्योगिकी का उपयोग” विषय पर एक विचार-मंथन सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र में दो प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ सुमीत गैरोला, एचएनबी गढ़वाल विश्ववि‌द्यालय, श्रीनगर गढ़वाल, उत्तराखंड और डॉ प्रशांत मिश्रा, सीएसआईआर- भारतीय एकीकृत चिकित्सा संस्थान, जम्मू शामिल हुए। उन्होंने वैज्ञानिकों और जैव प्रौ‌द्योगिकी के प्रोफेसरों को संबोधित किया। दिया गया व्याख्यान बहुत जानकारीपूर्ण था और बिहार में किसानों के कल्याण के लिए औषधीय और सुगंधित पौधों का एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने पर केंद्रित रहा।

इस अवसर पर निदेशक अनुसंधान डॉ.ए.के.सिंह, अधिष्ठाता कृषि डॉ.ए.के. सिंह, निदेशक विस्तार डॉ. सोहने, निदेशक बीज विज्ञान और विस्तार डॉ.फिजा अहमद, बिहार कृषि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एस.एन.राय और कृषि जैव प्रौ‌द्योगिकी महाविद्यालय के डॉ.एन.चट्टोपाध्याय जैसे कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। उन्होंने जलवायु अनुकूल फसल किस्म विकास, स्पीड ब्रीडिंग, जैव-कीटनाशक, जैव कीटनाशक उत्पाद विकास के लिए सूक्ष्मजीवों के उपयोग, किसानों की आजीविका के अंतिम लाभ और उत्थान के लिए जैव प्रौ‌द्योगिकी के महत्व पर अपने विचार साझा किया। कार्यक्रम का आयोजन और संचालन सीएबीटी/एमबीजीई के वरिष्ठ फैकल्टी सदस्य डॉ. शशिबाला, डॉ. रवि केसरी, डॉ. तुषार रंजन और डॉ. विनोद ने किया।

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By Awadhesh Sharma

न्यूज एन व्यूज फॉर नेशन

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