समय तो अपने अनुसार सभी राजों से पर्दा हटाने वाला ही है। लेेकिन उस समय मनुष्य आत्मा अलौकिक सुख की अनमोल प्राप्तियां नही कर पाएगी। कहावत है। कि बंद मुटठी लाख की और खुली तो प्यारे खाक की। वर्तमान समय चल रहे गुप्त युग संगमयुग के अंतिम पलो में जब सबके सामने ईश्वर प्रत्यक्ष हो जाएगा तब उनको जानने के लिए कोई बुद्धि लगानी ही नही पडेगी लेकिन उसका परिणाम यह होगा कि परमात्मा प्राप्तियों के द्वार बंद हो चुके होगे। इसलिए जागो क्योकि समय से पहले ही अपनी दिव्य बुद्धि का प्रयोग कर उन्हे पहचानने से सुख शान्ति और सम्पत्ति के अखुट खजाने प्राप्त हो सकते है धरती पर पधारे परमात्मा पिता को दिव्य चक्षु से जानने और पहचानने वाला भाग्यवान ही देवी देवता पद को जन्मजन्मांतर के लिए हासिल कर सकता है।