वर्तमान समय सब कुछ अति में जा रहा है और अति के बाद होता है अंत लेकिन इंसान समझने की बजाय उलझता ही जा रहा है। अनेक लोगों से सुनने में आता हैं कि कभी ना कभी हमें किसी ने आहत किया हैं या चोट पहुंचाई है। या धोखा दिया हैं और ऐसा करने वाले कोई और नही अपने ही प्रियजन रहे हैं। ऐसे हालातो पर एक ही रास्ता अपनाया जा सकता हैं, वह हैं क्षमाभाव का।
प्रतिशोध की भावना के बिना किसी व्यक्ति के द्वारा किए गए अपमान को सहन करने की क्षमता ही क्षमा हैं क्षमा करना अर्थात खुद की जेल से स्वयं को आजाद करना। अपराध को माफ कर देने का मतलब हैं द्वेष भावना और आहत भाव का भूलना। और किसी को माफ कर देना यह अपने आप नहीं होता परंतु यह व्यक्ति विशेष द्वारा सजगता से लिया गया कठोर फैसला होता है कि जिस किसी नें दर्द दिया मन को ठेस पहुंचाई उसके लिए प्रतिशोध की भावना नही रखनी है।