Sun. Sep 8th, 2024

आत्मा अपने मूल रुप से पवित्र है। एंव शुद्ध है। क्योकि हमारा पिता परमात्मा भी परम पवित्र एवं परम शुद्ध है। हम आत्माएं भी बाप समान है। जब भी हम कोई गलत काम करने लगते है। तो आत्मा अंदर से सत्य मार्ग पर चलने का प्रेरणा देती है। जिसे अतः प्रेरणा कहते है। यह अंत प्रेरणा हमे असत्य मार्ग से रोकते है। यदि हम उसी अनुसार काम करते है। तो सदा सत्य मार्ग पर ही चलते है। यदि हमने अवहेलना कर दी । चाहे स्वार्थवश या काम क्रोध लोभ आदि के वंश या मान शान के वश तो असत्य मार्ग पर हो जाते है। जो जो हम अंतरात्मा के आवाज को दबाते जाते है। असत्य को अपनाते जाते है। त्यों त्यों की आवाज समाप्त होते जाते है। और हमारे अंदर एक शैतान पनपने लगता है। जों कि सोच को बिल्कुल ही आसुरी बना देता है।

 

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