आज के इंसान को ज्ञान तो हैं लेकिन ज्ञान का ज्ञान न होने के कारण वह अज्ञानी है। जैसे कि हर शराब का बोतल व सिगरेट के डिब्बे पर लिख लिखा होता है। सेहत के लिए हानिकारक है। फिर भी वह शराब सिगरेट पीते है। ना इसे ही कहते कि ज्ञान तो है। लेकिन ज्ञान का ज्ञान नही है। इसी प्रकार मानव धार्मिक पुस्तके पढ़ते है। कथाएं सुनते है। या गुरु के पास जाते है। तो सभी यही कहते है। कि पाप न करो किसी को दुख न दो विषय विकारो को छोडो मोह ममता त्यागों साथ कुछ नहीं जाना है। सदा मौत को सामने रखो लेकिन हम आचरण में कहां लाते है। आचरण में तो यही हैं कि मानव धन दौलत मान शान या भौतिक उपलब्धियों के पीछे ही भाग रहा हैं। यदि कोई व्यक्ति सबेरे सबेरे मंदिर जाता भी है। या परमात्मा का नाम लेता भी हैं तो नेमीनाथ बनकर या किसी स्वार्थ की सिद्धि के लिए। इसी का ही कहते है। ज्ञान होते हुए भी अज्ञान है।