रिपोर्ट अनमोल कुमार
ब्यूरोक्रेसी की हनक की झलक, बिहार में मंत्रियों के विभाग बदले, अधिसूचना जारी
पटना: बिहार की राजनीति में सबकुछ सामान्य नहीं चल रहा है, यह एक बार फिर प्रमाणित हो गया है। प्रशासनिक लॉबी, राजनीतिक लॉबी पर भारी पड़ती दिख रही है। राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव शुक्रवार को जब इस कड़ाके की सर्दी (ठंढ) में बिहार के उप मुख्यमंत्री (पुत्र) तेजस्वी यादव के साथ मुख्यमंत्री आवास पहुंचे तो ऐसा प्रतीत होता रहा कि कुछ-न-कुछ अवश्य होगा। तेजस्वी यादव ने कुछ बड़ी बात नहीं होने और सबकुछ सामान्य होने की बात कही, लेकिन इस बीच शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक भी सीएम तक अपनी बात पहुंचा चुके। बिहार में ब्यूरोक्रेसी और विधायी खिचड़ी अंतत: पककर शनिवार को सामने आयी। शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर समेत तीन मंत्रियों का विभाग बदल दिया गया। मंत्रिमंडल विस्तार की प्रतीक्षा अब भी खत्म नहीं हुई। पिछले दिनों खेल विभाग अलग किया गया, तब भी एकबारगी उम्मीद जगी, अलबत्ता कला, संस्कृति एवं युवा विभाग से कटकर बने खेल विभाग का मंत्री भी पुराने विभागीय जिम्मेदार के पास ही रख दिया गया। इधर शनिवार की रात अचानक तीन मंत्रियों के विभाग बदलने की अधिसूचना जारी हुई।
मुख्यमंत्री की सहमति और राज्यपाल के आदेश से जारी अधिसूचना के अनुसार रामचरितमानस विवाद के बावजूद अपने पद पर कायम रहे प्रो. चंद्रशेखर को विभागीय अपर मुख्य सचिव केके पाठक से टकराना अंतत: महंगा पड़ा, शिक्षा विभाग के मंत्री प्रो. चंद्रशेखर की जगह अब आलोक कुमार मेहता होंगे।उन्हें ( डॉ चंद्रशेखर) को गन्ना उद्योग विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मतलब, मुख्य धारा से अलग कर दिए गए हैं चंद्रशेखर। आलोक मेहता के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की जिम्मेदारी ललित कुमार यादव को दी गई है। ललित यादव के पास लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की जिम्मेदारी पहले से है। रामचरित मानस विवाद के बाद अब हटाए गए मंत्री, से बिहार की राजनीति में कुछ अलग गुल खिलने के संकेत तो नहीं। कहा जाता है कि राजनीति में कुछ भी स्थाई नहीं होता, वैसे सर्वविदित है कि नीतीश कुमार को….. बदलने में माहिर बताया जाता है।