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मेडिटेशन से मन एकाग्र, शांत और प्रसन्न रहेगा: ब्रहमाकुमारी पूनम
बेतिया: प्रख्यात तनाव मुक्ति विशेषज्ञा ब्रम्हाकुमारी पूनम ने प्रजापिता ब्रहमाकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय ‘प्रभु उपवन भवन’ संत घाट बेतिया के द्वारा आयोजित 9 दिवसीय ‘अलविदा तनाव निःशुल्क शिविर’ के आठवें दिन की सत्र “वर्ल्ड ड्रामा” का रहस्य (समय की पहचान) विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि परमधाम से आत्मा उतर कर देवी देवता के रुप में जन्म लेती हैं। वहां हीरे मोतियों से जड़े सोने की महल, आवागमन के लिए पुष्पक विमान होंगे। यह सृष्टि चक्र चार युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलियुग (सुबह, दोपहर, शाम, रात) में घूमता रहता है। प्रत्येक युग 1250 वर्ष चलता है। इस प्रकार इस विश्व नाटक या फिल्म का पूरा समय 5000 वर्ष है। दुनिया वाले अरबों खरबों वर्ष कहते हैं क्यूंकि यह ड्रामा अनगिनत बार रिपीट होता रहता है। सर्वशक्तिमान परमपिता परमात्मा निराकार शिव ने स्वयं प्रजापिता ब्रम्हा के तन में अवतरित होकर हम बच्चों को यह ज्ञान दिया है। उन्होंने वीडियो के माध्यम से सतयुगी दृश्य दिखाया बताया कि हम ही उस समय देवी देवता रहे। क्यूंकि हमारे  देवत्व देवता, उस समय आत्मा सौ प्रतिशत चार्ज रहे, तन का सौ प्रतिशत सुख, नेचुरल ब्यूटी परिपूर्ण, मन में पूरी शांति, प्रसन्नता, हल्कापन सुखचैन अथाह धन रहा, तनाव, पाप, भ्रष्टाचार हिंसा शब्द ही नहीं रहे। किसी ने कभी नहीं सुना होगा कि किसी देवी देवता को डायबिटीज, हृदय रोग, या सर दर्द रहा, वहां आपसी सम्बंधों में निस्वार्थ प्यार रहा। उस समय लक्ष्मी नारायण के राज्य की प्रारंभिक जनसंख्या 9 लाख रही। उसी सतयुग का गायन है जहां डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती थी बसेरा, वह भारत देश है मेरा……
सतयुग में 8 जन्म लेते व देवी देवताओं की औसत उम्र 150 वर्ष रही। सीढ़ी के चित्र के माध्यम से उन्होंने बताया कि जब आत्मा सतयुग से त्रेतायुग में उतरी तो आत्मा की डिग्री 98% थी प्रकृति सुखदाई रही, श्रीराम सीता का राज्य रहा, वहां अधिक से अधिक 12 जन्म होते, त्रेता के अंत की जनसंख्या 33 करोड़ रही, उसे सिल्वर एज दिखाया गया। सतयुग- त्रेता में पाप, भ्रष्टाचार, दुख, अशांति 25 वर्ष तक नहीं रहे, अब तीसरे एपिसोड में द्वापर युग चालू हुआ उसे समय आत्मा की बैटरी 65% चार्ज रही। वहां 21 जन्म होते व उसे कॉपर एज कहा गया। द्वापर  युग में रावण यानी विकारों काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार का प्रवेश हुआ। फिर यहां दुःख अशांति से मुक्ति के लिए सर्वप्रथम दिव्य ज्योति निराकार शिव परमात्मा का ज्योतिर्लिंग बनाकर पूजा प्रारंभ हुई। उसके बाद लक्ष्मी नारायण, राधे कृष्णा, श्रीराम सीता की पूजा प्रारम्भ हुई। द्वापर में परमात्मा ने अपने बच्चों को अर्थात धर्म गुरुओं को नीचे भेजा सुख, शांति की स्थापना के लिए इस्लाम धर्म, ईसाई धर्म, बौद्ध धर्म की अनेक पंथ प्रवर्तक आए, लेकिन हममें सुधार नहीं हुआ। फिर कलियुग का आगमन हुआ, जिसमें आत्मा की डिग्री 0 चार्ज हो गई। न तन का सुख, न मन का सुख, न सम्बंधों का सुख, अनिंद्रा, तनाव,डिप्रेशन बढ़ गए। वहां अधिकतम 42 जन्म लेते हैं, लेकिन आयु का कोई भरोसा नहीं है। अभी गहरी रात का समय है, घोर कलियुग है, समय परिवर्तनशील है। अब युग परिवर्तन का सुहाना प्रभात आने का समय आ गया है। युग परिवर्तन कर देना कलयुग को सतयुग में परिवर्तन कर देना, यह किसी मनुष्य या देवता के बस की बात नहीं है। इसके लिए सभी आत्माओं व सर्वधर्म आत्माओं के भी पिता शिव परमात्मा का अवतरण सन 1936 में प्रजापिता ब्रह्मा के तन में हुआ। स्वयं से बातें करिए, मेरा परमपिता स्वर्ग का रचयिता, तो स्वर्ग मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, सतयुग में जाने के लिए आत्मा को 100% चार्ज करना होगा अपने अंदर से विलेन रावण अर्थात काम क्रोध को निकलना पड़ेगा। इसके लिए रोज परमात्मा का ज्ञान सुनना व मेडिटेशन करना पड़ेगा। स्वयं को ज्योति स्वरुप आत्मा निश्चय कर ज्योति बिंदु परमात्मा से सम्बंध जोड़ना पड़ेगा। इसके लिए 31 दिसंबर 2023 से होने वाला ‘अलविदा तनाव एडवांस कोर्स’ सोवाबाबू चौक(बाटा चौक) केनरा बैंक के प्रथम तला मे प्रतिदिन सुबह 7:30 से 8:30 बजे, संध्या 4 से 5, संध्या 6: 30से 7:30 इसे किसी भी एक समय आकर नि:शुल्क सीख सकते हैं। ब्रह्माकुमारियों को भगवान ने ड्यूटी दी है, मेडिटेशन सीख कर सबको दुःख,अशांति, डिप्रेशन से मुक्त करने की उनका अपना कोई स्वार्थ नहीं है। मेडिटेशन सीखने से मन एकाग्र, शांत वह खुश हो जाता है जिससे हर कार्य जल्दी होने लगेगा निर्णय आप सबको करना है कि हमें अपना कैसा जीवन बनाना है। तत्पश्चात महाविजय उत्सव मनाया गया। शंख घंटी की आवाज के साथ ब्रह्माकुमारी बहने हाथ में शिव ध्वज लेकर मंच पर लहरा रही तथा भारत माता के हाथ में तिरंगा लहरा रहा।
जहां डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती थी बसेरा…… गीत बज रहा। सभी नगरवासियों ने तालिया बजाकर सेलिब्रेट किया। फिर एक अद्भुत हवन कुंड या यज्ञ कुंड में पंडित जी ने तनाव भय क्रोध डिप्रेशन ईष्र्या नफरत हृदय रोग सर दर्द डायबिटीज हाई ब्लड प्रेशर व्यसन गुटका बीड़ी सिगरेट शराब तंबाकू सभी कमी कमजोरीयों सभी दुख अशांति स्वाहा करवाया आज सभी ने अपनी अपनी एक कमजोरी परमात्मा को सामने रखते हुए कागज पर लिखकर उसी हवन कुंड में स्वाहा किया यानी उन्हें समर्पित किया अंत में मारवाड़ी महिला समिति की अध्यक्ष, सचिव और अन्य सदस्य ब्रह्माकुमारी पूनम को शॉल प्रदान कर और फूलों का गुलदस्ता देखकर सम्मानित किया।
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By Awadhesh Sharma

न्यूज एन व्यूज फॉर नेशन

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