बेतिया: टी.पी.वर्मा महाविद्यालय के बीएड संकाय, द्वितीय वर्ष के प्रशिक्षुओ को डीईओ ने आवंटित विभिन्न विद्यालयों में इंटर्नशिप के लिए भेजा है। जिसकी जानकारी प्राचार्य डॉ लक्ष्मीकांत राय के हवाले से बीएड संकाय सूत्रों ने दी । प्राचार्य के हवाले से बताया गया कि एनसीटीई के अनुसार 120 दिनों के लिए पाठ योजना बनाने एवं पढ़ाने के लिए भेजा गया है। प्राचार्य ने बताया कि प्रशिक्षुओ को इस प्रशिक्षण से अनुभव एवं सर्वांगीण विकास होगा और भविष्य में वरदान साबित होगा। इंटर्नशिप नियमित करें अन्यथा 75% उपस्थिति नहीं होने पर किसी भी प्रकार की परेशानी होगी तो इसके जिम्मेदार प्रशिक्षुगण स्वयं होगें । काॅलेज से प्रत्येक विद्यालयो में दो-तीन पर्यवेक्षक बनाएं गये है जो प्रशिक्षुगण को मदद करेगें। बीएड के सहायक प्राध्यापक सह इंटर्नशिप प्रभारी अतुल कुमार ने बताया कि उत्क्रमित उच्च विद्यालय चेगौंना, उत्क्रमित उच्च विद्यालय सिसवा बहुअरवा, उत्क्रमित उच्च विद्यालय अंजुआ सुगौली, उत्क्रमित उच्च विद्यालय राजपुर मदन, उत्क्रमित उच्च विद्यालय कोईरगावा, रामचंद्र लाल उच्च विद्यालय मथुरा विद्यालयो में इंटर्नशिप संचालित है। अतुल कुमार ने बताया कि इससे व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त होगी एवं सबसे बड़ा लाभ है कि प्रशिक्षुओ के अंदर आत्मविश्वास बढ़ेगा और आंतरिक विकास होगा जो एक आदर्श शिक्षक के रुप में भविष्य में साबित होगा। इंटर्नशिप खुद को परखने का एक मौका है जिसके माध्यम से अपना ज्ञान और कौशल को विकसित कर आने वाली पीढ़ियों को हम बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। प्रो अतुल कुमार ने बताया कि पाठ योजना एक शिक्षक की दैनिक मार्गदर्शिका होती है जिसे प्रशिक्षुओं को सीखने की आवश्यकता है। पाठ योजना प्रत्येक कक्षा की अवधि का पालन करने के लिए विस्तृत रूप रेखा प्रदान करके शिक्षकों को कक्षा में अधिक प्रभावी बनाने में मदद मिलती है। सभी विद्यालयों के प्रधान का काफी सहयोग मिल रहा है। सहायक व्याख्याता अतुल कुमार ने बताया कि पाठ योजना का जो स्वरूप दिया गया है उसी में बनाना है। किसी भी प्रकार की कोताही या अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। आलोक रंजन ने बताया कि अवलोकन से सीखने का अनुभव प्राप्त होता है । अवलोकन का अर्थ ही होता है निरीक्षण, विचार, इस इकाई में भाषा और साक्षरता विकास की निगरानी, आकलन और फीडबैक आपको आपके प्रशिक्षुओं की प्रगति के बारे में मूल्यवान जानकारी दे सकता है और पाठ योजना बनाने में सहायक होती है।