सिंगापुर के नागरिकों को निशाना बनाकर साइबर सक्षम परनामधारण वाली धोखाधड़ी का खुलासा
ऑपरेशन चक्र-II की कड़ी के तौर पर, सीबीआई ने साइबर-सक्षम वित्तीय अपराधों पर अपनी कार्रवाई जारी रखी एवं दो अन्य मामलों में व्यापक सफलता
नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने आर्थिक अपराध के अंतर्राष्ट्रीय संगठित गिरोह का उद्भेदन किया है। जिसका पहला मामला: वर्ष 2022 में, गृह मंत्रालय अन्तर्गत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) द्वारा दी गई सूचना सहित विभिन्न सूचनाओं के आधार पर, सीबीआई ने विदेशी घोटालेबाजों द्वारा निवेश, ऋण और नौकरी के अवसरों के नाम पर भारतीय नागरिकों पर किए जा रहे जटिल (sophisticated), संगठित साइबर अपराध के विरुद्द मामला दर्ज किया।धनराशि के इधर उधर होने के जटिल जाल का विस्तृत विश्लेषण करने के पश्चात, सीबीआई ने हाल में संदिग्धों के ठिकानों पर छापेमारी किया।
जालसाजों ने कथित रुप से पोंजी योजनाओं एवं बहु-स्तरीय विपणन पहल (multi-level marketing initiatives) के माध्यम से आकर्षक अंशकालिक नौकरियों के वादे के साथ पीड़ितों को लुभाने के लिए विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों एवं उनके विज्ञापन पोर्टलों, एन्क्रिप्टेड चैट एप्लिकेशन (Encrypted chat applications), एसएमएस का लाभ उठाया। पहचान को छुपाने के लिए, उन अपराधियों ने यूपीआई खातों, क्रिप्टो मुद्राओं व अंतरराष्ट्रीय धनांतरण से जुड़े बहुस्तरीय विधि का उपयोग किया।कथित रुप से जालसाज एक प्रसिद्ध सर्च इंजन के विज्ञापन उपकरण के साथ-साथ थोक एसएमएस भेजने के लिए किराए के हेडर का उपयोग करते रहे। जिससे धोखाधड़ी का तंत्र तैयार होता रहा। पीड़ितों को उच्च मुनाफा वापसी की उम्मीद में यूपीआई खातों के माध्यम से धन जमा करने का लालच दिया गया। गलत विधि से कमाए गए धन को यूपीआई खातों के एक जटिल नेटवर्क के माध्यम से धनशोधन किया गया, जो अंततः फर्जी प्रमाण-पत्रों का उपयोग करके क्रिप्टो मुद्रा या सोने की खरीद में परिवर्तित हो गया।
सीबीआई ने धोखाधड़ी वाले गतिविधियों में संलिप्त 137 मुखौटा कम्पनियों की पहचान किया। उनमें बड़ी संख्या में संस्थाएँ, बैंगलोर में कम्पनी रजिस्ट्रार के साथ पंजीकृत पाई गईं। व्यापक स्तरीय जांच से इन कम्पनियों के निदेशकों की पहचान हुई, जिनमें अधिकांश बैंगलोर में स्थित रहे। इनमें से कुछ निदेशक बेंगलुरु स्थित एक भुगतान आधारित व्यापारी (Payout merchant) से भी जुड़े रहे। यह व्यापारी, धोखाधड़ी के संचालन के केंद्र में, लगभग 16 अलग-अलग बैंक खातों को नियंत्रित करता रहा था, जहां पर 357 करोड़ रु. (लगभग) की भारी मात्रा में धनराशि अंतरित (funneled) की गई। फिर धोखाधड़ी को छुपाने के प्रयास में जानबूझकर धनराशि को विभिन्न खातों में भेजा गया। बेंगलुरु, कोचीन और गुड़गांव में की गई तलाशी में मुखौटा कम्पनियों के निदेशकों की कथित गतिविधियों पर जानकारी देने वाले पर्याप्त साक्ष्य सीबीआई को मिले।
आरोपियों के एक विदेशी नागरिक से सम्बंध का पता भी चला है। इन धोखाधड़ी वाली संस्थाओं से जुड़े निदेशकों और सम्पर्क जानकारी को बदलने में बैंगलोर के दो चार्टर्ड अकाउंटेंट की भूमिका पाई गई। उनके परिसरों की तलाशी से कुछ दस्तावेज़, ईमेल संवाद एवं व्हाट्सएप चैट बरामद हुए, जिससे इन अभियानों में उपर्युक्त विदेशी नागरिक की भागीदारी को सुविधाजनक बनाने में उनकी कथित भूमिका के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी सीबीआई को मिली।
दूसरा मामला सिंगापुर के नागरिकों को निशाना बनाने वाले साइबर, सक्षम वित्तीय अपराधों के आरोप में अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध दर्ज किया गया। इस मामले में इंटरपोल चैनलों के माध्यम से सिंगापुर पुलिस बल से दस (10) राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में फैले 100 से अधिक भारतीय बैंक खातों से जुड़े, सिंगापुर के नागरिकों के विरुद्ध 300 से अधिक साइबर-सक्षम धोखाधड़ी से सम्बबंधित सूचना प्राप्त हुई। आरोप यह भी है कि उन अपराधियों ने 400 से अधिक सिंगापुर नागरिकों को निशाना बनाते हुए विभिन्न प्रकार की साइबर तकनीकों का प्रयोग किया, जिनमें फ़िशिंग(Phishing), विशिंग(Vishing), स्मिशिंग(Smishing) एवं धोखाधड़ी वाली तकनीकी सहायता जैसी सोशल इंजीनियरिंग तरीके शामिल रहे।
उपर्युक्त मामला दर्ज करने के पश्चात, सीबीआई ने सिंगापुर के नागरिकों को निशाना बनाने वाले एक विशाल साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क का खुलासा करते हुए एवं उनपर कार्रवाई किया है। आरोप है कि आरोपियों ने विभिन्न प्रकार की साइबर तकनीकों का उपयोग किया, जिसमें फ़िशिंग (Phishing), विशिंग (Vishing), स्मिशिंग (Smishing) एवं धोखाधड़ी वाली तकनीकी सहायता जैसी सोशल इंजीनियरिंग विधि शामिल रहे। उन तकनीकों का लाभ उठाकर, आरोपियों ने पीड़ितों के सिस्टम तक अनधिकृत पहुंच बना ली एवं बाद में सिंगापुर के खातों से भारत के विभिन्न खाता में धनराशि अंतरित कर दी। धोखाधड़ी की धनराशि का अंतरण अन्य खातों में किया गया या इन साइबर अपराधियों ने निकाल लिया। गहन अनुसंधान में, लगभग 150 बैंक खातों का विश्लेषण और धनराशि के लेन-देन के साक्ष्यों की पहचान की गई। वित्तीय लेन देन के आधार पर परस्पर जुड़ी संस्थाओं के एक जटिल तंत्र का पुनर्निर्माण किया गया। जिसमें पटना, कोलकाता, लखनऊ, वाराणसी, चंडीगढ़, जालंधर, भोपाल, चेन्नई, कोच्चि एवं मदुरै सहित लगभग 35 स्थानों पर स्थित आरोपियों के परिसरों की तलाशी के दौरान, पहचान प्रमाण पत्र, धोखाधड़ी वाले बैंकिंग लेनदेन व अन्य महत्वपूर्ण साक्षों से सम्बंधित आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए गए हैं। ऑपरेशन के माध्यम से सिंगापुर के नागरिकों को निशाना बनाने में संलिप्त कई गिरोह की जानकारी मिली, अभी जांच पूरी नहीं हुई है। जांच के क्रम में उनकी पहचान सुनिश्चित कर ली गई है।