कभी सोचा है। कि जब हम फैक्ट्री में कोई चीज का निर्माण करते है। तो पहले चैकिंग होता है उसके बाद में उसको पैक करते है। फिर सेल करते है। जैसे स्थूल वस्तुओ का अवलोकन जरुरी है। ऐसे हम अपनें चेकर बने। अपने बोल को व्यवहार को कार्य को अपने दिनचर्या को चेक करे तो आसानी से परिवर्तन भी कर सकते है। और उसे अधिक मूल्यवान बना सकते है। अवलोकन करो कि क्या दूसरे मेरे कार्य से संतुष्ट है। अगर नही है। तो कमी कहा है। उसे ढूंढो और दूर करो