श्रीमत प्रमाण लगने वाता घन ही अपना है। जो धन बैंक में पेटी में जेब मे पडा है।वह अपना नही है। संग्रह के रुप में पडें धन में सें क्या पता कितना जुर्माना भरनें मं मुकदमे में डाँक्टर के फीस मे देने पडे और कितना व्यसनो में और कितना आडंबरो में जाये जो खा लिया वह भी सार्थक नही उसमें भी जितना हजम हो जायें वही सार्थक है। खानें के बाद जो गोलियों द्वारा बाहर निकालना पडे उस खाने के हुए का क्या लाभ है।