छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर में पिछले 4 वर्ष में विकाश और सुरक्षा के साथ विश्वास पर आधारित त्रिवेणी माँडल नें 589 गांवो कों नक्सल हिंसा से बाहर निकाला और 5 लाख 74 हजार से अधिक लोग हिंसा और दहशत सें मुक्त हो गए है। भास्कर ने सरकारी दावो की पड़ताल के लिए बस्तर के दुर्गम इलाको का दौरा किया तो यह बात सामने आया कि नक्सल हिंसा के कारण जो स्कूल एक सें डेढ़ दशक ( सलवा जुड़म काल) पहले बंद हुए थें उनमे से 262 स्कूल फिर खुल गए है। और पढ़ाइग् शुरु हो गया है। 3 साल मे अंधेरा में डूबे 196 गांव में बिजली पहुची है। इस वजह सें नक्सल वारदाते 2022 में सिमट गई जिनके संख्या सालाना 450 या ज्यादा थी 525 नए मों टाँवरो से संचार बढ़ा जिसका फायदा ग्रामीण और फोर्स दोनो को हुआ
आईजी ने कहा कि साल 2023 में भी पुलिस नक्सलियों के खिलाफ नई रणनीति बनाकर काम करेगी. नक्सलियों के मांद में ज्यादा से ज्यादा पुलिस कैंप खोलने का प्रयास किया जाएगा. उन्होंने कहा कि नक्सली मांद में पुलिस कैंप खुलने के बाद सड़क और कनेक्टिविटी के काम में तेजी आ गई है. ग्रामीणों के लिए भी कम्युनिटी पुलिसिंग का काम बेहतर तरीके से हो रहा है. इसी का नतीजा है कि ग्रामीणों का पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ा है और नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास भी पहुंच रहा है. पुलिस साल 2023 में भी त्रिवेणी योजना विकास, विश्वास और सुरक्षा के तहत काम करेगी. आईजी ने दावा किया है कि बस्तर जरूर नक्सल मुक्त होगा. नए साल में नक्सली संगठन की सेंट्रल कमेटी के मेंबर निशाने पर रहेंगे. जवानों ने जिंदा पकड़ने या मुठभेड़ में मार गिराने का संकल्प लिया है.