आपके अपने लोग भी यदि आपके कत्ल की साजिस कर रहे हो और अचानक आप पहुंच जाएं तो देखकर कहेंगे अरे क्या बात है, हम आपकी लंबी उम्र की दुआ ही कर रहे थे। किस पर भरोसा करें कैसे पहचानें कौन अपना कौन परायौ गैर से वफा की उम्मीद बेकार है, लेकिन उलझन जब अपनों मे ही हो जाए तब क्यां करे? महाभारत युद्व के दौरान युधिष्ठिर ने अर्जुन के गाण्डीव (धनुष) पर विपरीत टिप्पणी कर दी थी अर्जुन की प्रतिज्ञा थी जो मेरे गाण्डीव को अपशब्द कहेगा, मै उसका वध कर दूंगा। तो बडे़ भाई को मारने को तैयार हो गए। कृष्ण वहीं थे। उन्होंने समाधान जुटाया। बोले अर्जुन तुम अपने बड़े भाई को तू संबोधन बोल दो। बड़े को तुम कहना भी उसके वध जैसा होता है। वैसे तो अर्जुन को एक ही बार तू बोलना था लेकिन कुछ पुराना याद आ गया और ग्यारहा बार बोल गया। फिर एकदम से तलवार निकाल ली खंुद को मारने के लिए क्योकि बड़े भाई को तु कहता था। तब श्रीकृष्ण बोले हमारे शास्त्रों मे हर समस्या का समाधान है। ब्रवीहि वाचाघ गुणा निहात्मन स्तथा इतात्मा भवितासि पार्थ। ईश्वर को बीच मे रखें। परमात्मा की उपस्थिति ही कई समस्याओं का समाधान बन जाती है।