चकमक पत्थर से नवरात्र पर महाजोत एवं मनोकामना जोत प्रज्वलित करने की परंपरा आज भी जारी है। पुरानी बस्ती के ऐतिहासिक महामाया मंदिर में चकमक पत्थर को रगड़कर निकलने वाली चिंगारी से महाजोत प्रज्वलित करने की परंपरा निभाई जा रही हैै।चकमक पत्थर से नवरात्र पर महाजोत एवं मनोकामना जोत प्रज्वलित करने की परंपरा आज भी जारी है। पुरानी बस्ती के ऐतिहासिक महामाया मंदिर में चकमक पत्थर को रगड़कर निकलने वाली चिंगारी से महाजोत प्रज्वलित करने की परंपरा निभाई जा रही हैै। महाजोत से अग्नि लेकर हजारों श्रद्धालुओं की जोत को प्रज्वलित किया जाता है। यह परंपरा सोमवार को शारदीय नवरात्र पर अभिजीत मुहूर्त में सुबह 11.36 से 12.24 बजे के मध्य निभाई जाएगी।महामाया मंदिर ट्रस्ट के सचिव व्यासनारायण तिवारी ने बताया कि मंदिर के प्रधान पुजारी एवं मंदिर के बैगा के सानिध्य में सुबह महाआरती के पश्चात महाजोत प्रज्वलित की जाएगी। मंदिर में चकमक पत्थर की चिंगारी से जोत जलाने की यह परंपरा लगभग 200 साल से निभाई जा रही है। महाजोत का प्रज्वलन कुंवारी कन्या का हाथ लगाकर किया जाता है।