शहर मे उपयोग किए जाने वाले पानी के एवज मे जल संसाधन विभाग को दिया जाने वाला जल कर बीते 4 सालों से बकाया है। नगर निगम ने आखिरी बार साल 2017 मे करीब ढ़ाई करोड़ रुपय का भुगतान किया था। इसके बाद से जल कर कोई भी भुगतान जल संसाधन विभाग को नही किया है। इस स्थिति मे नगर निगम पर जल संसाधन विभाग का 1.85 करोड़ रुपय का जल कर बकाया है। इसके भुगतान को लेकर लगातार विभाग नगर निगम को पत्र लिख रहा है, लेकिन इनका जवाब ही नही दिया जा रहा है। ऐसे मे अब विभाग के अफसरो ने कलेक्टर के जरिए नगर निगम को जल कर का भुगतान करवाने दखल देने की मांग की है। दरअसल, शहर के लोगो की प्यास बुझाने के लिए नगर निगम जल संसाधन विभाग से पानी खरीदता है। शहर से होकर बहने वाली बस्तर की प्राणदायिनी इद्रावती नही का पानी ही वाटर ट्रीटमेंट के बाद घरो मे सप्लाई किया जाता है। ऐसे रोजाना करीब 98 लाख लीटर यानी
0.0098 जल संसाधन विभाग हर साल नगर निगम को 2.49 मिलियन घनमीटर पानी देता है। प्रति घनमीटर 0.62 पैसे के हिसाब से हर साल तकरीब 15.43 लाख रुपय का जल कर नगर निगम को जल संसाधन विभाग को देना होता है। किसी साल नगर निगम ने जल कर जमा नही किया तो इस पर तीन गुना पैनल्टी लगाई जाती है। ऐसे मे एक साल का बकाया जल कर 46.29 लाख रुपए हो जाता है। ऐसे ही बीते 4 सालो का बकाया देतो ये रकम बढ़कर करीब 1.85 करोड़ के करीब पंहुच जाती है।