आज के दुनिया में हम देखते आ रहे है। कि विधान सभाओं कानून बनाना उसे पुस्तको के रुप में छपवाना फिर काँलेजो और स्कलों में इस विषय के विधार्थियों को कानून पढ़ाने का कानून के विरुद्ध काम करने वाले लोगों को पकड़ने के लिए पुलिस विभाग को सक्रिय रखना फिर न्यायालयों के मुकदमों की सुनवाई करना या फैसले का व्यवस्था करना और उसके बाद में अपराधी को सिद्ध होने वाले को दंड़ित करनें के लिए बडे़ बडे़ जेलखानें कायम करना यें समाज के आवश्यक अंग बन गये है।
कहा जाता है। कि शहरों में बेशक और कानून को बनाये रखनें के लिए यें सब जरुरी है। और बहुत लोग भी कहते है। कि अपने ही चुने हुए प्रतिनिधियो अथवा विधायको द्वारा पारित कियें हुए कानून एंव शासन तन्त्र सें शासित होना ही सच्ची स्वतन्त्रता है।