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आईसीएआर-आरसीईआर पटना ने कांवर झील में विश्व मत्स्य दिवस -2025 का आयोजन सम्पन्न

पटना: कांवर झील एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की ऑक्सबो झील है, जो अपनी समृद्ध जैव विविधता और पारिस्थितिक महत्व के लिए जानी जाती है। आईसीएआर-आरसीईआर, पटना के निदेशक डॉ. अनूप दास के नेतृत्व में विश्व मत्स्य दिवस 2025 पर कांवर झील के आसपास रहने वाले मत्स्य किसानों के लिए समेकित आर्द्रभूमि प्रबंधन पर एक व्यापक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के क्रम में उन्होंने स्थानीय किसान परिवारों से उनकी आजीविका को बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक मत्स्य प्रबंधन और टिकाऊ कृषि प्रणाली को अपनाने का संवाद दिया। आर्द्रभूमि मत्स्य विशेषज्ञ वैज्ञानिक डॉ. विवेकानंद भारतीन ने किसानों के साथ मछली पालन के लिए आर्द्रभूमि के महत्व और किसानों की आजीविका में सुधार में इसके योगदान पर चर्चा की। उन्होंने किसानों को समेकित मछली पालन के लाभप्रद विस्तृत उल्लेख किया और कहा कि आज किसानों को समेकित मत्स्य प्रणाली अपनाने की आवश्यकता जो पारंपरिक कृषि पद्धतियों की तुलना में किसानों के लिए अधिक लाभदायक है। आर्द्रभूमि क्षेत्र में मत्स्य पालन द्वारा बिहार में आर्द्रभूमि के संरक्षण भी किया जा सकता है। पशुधन एवं मत्स्य प्रबंधन विभाग के प्रमुख डॉ. कमल शर्मा ने आर्द्रभूमि क्षेत्र में समेकित मत्स्य पालन के विभिन्न घटकों के बारे में बताया। उन्होंने किसानों को तालाब के मेढ़ का उपयोग कर मौसमी सब्जियों का उत्पादन कर अपनी अर्थव्यवस्था और पौष्टिक आहार में शामिल करने के लिए भी जागरूक किया। उन्होंने मिश्रित मत्स्य पालन, मत्स्य आहार प्रबंधन, तालाब की तैयारी और रोग निवारण पर विस्तृत मार्गदर्शन प्रदान किया।
सामाजिक-आर्थिक एवं विस्तार प्रभाग के प्रमुख डॉ. उज्ज्वल कुमार ने किसानों को झील में प्रवेश करने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए कम रासायनिक या जैविक कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।आर्द्रभूमि की पर्यावरण और उसकी जैव- विविधता महत्वता का वर्णन करते हुए, उन्होंने किसानों को मत्स्य पालन के विभिन्न मॉडल के तरीकों की जानकारी दी। उन्होंने आर्द्रभूमि का उपयोग किसान को समूह बनाकर समेकित मत्स्य पालन के लिए प्रेरित किया तथा कांवर झील में मछली की प्रचुरता और यहाँ के पक्षियों के संरक्षण के भी लिए प्रोत्साहित किया। डॉ. तारकेश्वर कुमार, वैज्ञानिक द्वारा किसानों तालाब के पानी का पीएच, घुलित ऑक्सीजन, अमोनिया, गंदलापन, पानी की गहराई और मछली रोग की निगरानी करने का प्रशिक्षण दिया गया। चूना डालना, जलीय खरपतवार नियंत्रण और औक्सिजन जैसी व्यावहारिक तकनीकों का प्रदर्शन किया गया। मत्स्य पालकों के लिए यह जागरूकता कार्यक्रम आईसीएआर-आरसीईआर के अनुसूचित जातीय उपयोजना कार्यक्रम के तहत कृषि विज्ञान केंद्र, बेगूसराय के सहयोग से आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में कंवर झील के मत्स्य पालकों के बीच मछली चारा और मौसमी सब्जी के बीज वितरित कर यहाँ समेकित मत्स्य पालन के लिए प्रोत्साहित किया गया। डॉ रामपाल प्रधान, कृषि विज्ञान केंद्र, बेगूसराय ने ज़ोर देकर कहा कि आर्द्रभूमि संरक्षण तभी सफल होगा जब वहां के किसान समुदाय ज़िम्मेदारी लेंगे। डॉ विपिन सब्जेक्ट मैटर स्पेशलिस्ट,कृषि विज्ञान केंद्र, बेगूसराय ने कांवर झील का योगदान पशुपालन में किसानों के समक्ष विस्तार पूर्वक वर्णन किया। अनीश कुमार किसान सलाहकार, एकम्बा पंचायत, बेगूसराय ने इस झील में अपने द्वारा स्थापित किये गए शुकुन वाटिका उदेश्य और यहाँ उगाये 100 प्रजातियों के फल और सब्जी का वर्णन इस कार्यक्रम में आये सभी पदाधिकारीगणों तथा किसानों के बीच रखा, जिससे सभी किसान इस झील में बागवानी का भी अवसर तलाशने के किये प्रेरित हुए। कार्यक्रम का समापन कंवर झील के जीर्णोद्धार और उस पर निर्भर परिवारों की आजीविका को मज़बूत करने के लिए समेकित और समुदाय-संचालित आर्द्रभूमि प्रबंधन के आह्वान के साथ हुआ। पदाधिकारियों ने निरंतर तकनीकी सहायता, क्षमता निर्माण कार्यशालाओं और सरकारी योजनाओं से जुड़ाव का आश्वासन दिया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अमरेंद्र कुमार तकनीकी अधिकारी, आईसीएआर-आरसीईआर पटना, आशीर्वाद कुमार,समेकित मत्स्य पालक का योगदान प्रशंसनीय रहा।

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By Awadhesh Sharma

न्यूज एन व्यूज फॉर नेशन

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