कृषि अनुसंधान परिसर पटना में पोषण एवं नारी सम्मान समारोह का आयोजन

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पटना : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में दिनांक 21 नवंबर 2025 को ‘पोषण एवं नारी सम्मान समारोह’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं में पोषण-जागरुकता, स्वास्थ्य, सतत कृषि, आजीविका उन्नयन और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना रहा। संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने उपस्थित महिलाओं का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि आत्मनिर्भरता ही महिला सशक्तिकरण की वास्तविक नींव है। उन्होंने अनुभव-आधारित सीख को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कृषि एवं उससे सम्बंधित क्षेत्रों में वैज्ञानिक तकनीकों के व्यावहारिक उपयोग पर बल दिया। उन्होंने ग्रामीण महिलाओं को सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने, नये कौशल सीखने और उद्यमिता की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। डॉ. दास ने आग्रह किया कि बेटियों को शिक्षा, पोषण, कौशल एवं रोजगार के समान अवसर प्रदान करें, क्योंकि संतुलित पालन-पोषण ही संतुलित एवं प्रगतिशील समाज का मार्ग प्रशस्त करता है।
विशिष्ट अतिथि डॉ. आरती कुमारी ने ‘रंगों से भरी थाली-संपूर्ण आहार’ की अवधारणा पर बल दिया। उन्होंने मिलेट्स को पोषक, जलवायु-सहिष्णु और लघु किसानों के लिए लाभकारी बताते हुए, दैनिक आहार में शामिल करने का परामर्श दिया। उन्होंने महिलाओं को निर्णय-निर्धारण, पौष्टिक भोजन और उद्यमिता के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
डॉ. शिवानी, प्रधान वैज्ञानिक ने परिवार एवं समुदाय में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए स्वास्थ्य, पोषण और निर्णय-निर्धारण में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया। डॉ. अभय कुमार, प्रधान वैज्ञानिक ने कहा कि लैंगिक समानता की शुरुआत घर से होती है और बालिकाओं-बालकों को समान अवसर देना आवश्यक है। डॉ. संजीव कुमार, प्रभागाध्यक्ष, फसल अनुसंधान ने ग्रामीण महिलाओं में एनीमिया की समस्या पर प्रकाश डालते हुए पोषण-संपन्न भोजन, आयरन-फोलिक एसिड सेवन और नियमित स्वास्थ्य जाँच पर बल दिया। डॉ. कुमारी शुभा, वैज्ञानिक ने महिलाओं को आईसीएमआर के अनुसार दैनिक पोषक तत्व आवश्यकताओं के प्रति जागरूक करते हुए विविध आहार, स्वस्थ पाक विधियाँ और मिलेट्स, हरी सब्जियाँ, दालें व फल शामिल करने की सलाह दी। कार्यक्रम में महिला कृषकों ने बकरी एवं मत्स्य पालन, मधुमक्खी और लाख उत्पादन, मशरूम व सब्जी खेती, औषधीय पौधों, बीज उपचार, सिलाई-कार्य तथा पोषण उद्यान जैसे विविध क्षेत्रों में अपने सफल अनुभव साझा किया। उनके इन व्यावहारिक अनुभवों ने कार्यक्रम में उपस्थित अन्य महिलाओं को नई तकनीकों और बहुआयामी आजीविका विकल्पों को अपनाने के लिए उत्साहित किया। इससे महिलाओं में कौशल-विकास और आत्मनिर्भरता की प्रेरणा मजबूत हुई। कार्यक्रम में ‘महिला सशक्तिकरण के लिए तकनीकी विकल्प’ नामक पुस्तिका का भी विमोचन किया गया।

कार्यक्रम में लगभग 150 अनुसूचित जाति एवं जनजाति महिला कृषकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रत्येक प्रतिभागी महिला का सम्मान ऊनी शॉल प्रदान कर किया गया तथा स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने को वेलनेस किट दी गई। कुक्कुट पालन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से महिलाओं को मुर्गियाँ भी उपलब्ध कराई गईं, उन्नत किस्मों के बीज वितरण किया गया। क्षेत्रीय किसानों के साथ झारखंड राज्य से आये कृषकों ने सक्रिय सहभागिता भी किया। इससे ज्ञान-विनिमय का उत्कृष्ट अवसर सृजित हुआ, विशेषकर तब, जब कुछ किसानों की वार्षिक आय 8–15 लाख रुपये तक पहुँचने के प्रेरक अनुभव साझा किया गया। प्रक्षेत्र भ्रमण के दौरान प्रतिभागी महिलाओं ने पोषण वाटिका, होमस्टेड फार्मिंग मॉडल, समेकित कृषि प्रणाली मॉडल तथा अन्य कृषि नवाचारों को प्रत्यक्ष रूप से देखकर महत्वपूर्ण जानकारियाँ अर्जित कीं। इस दौरान एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई, जिसमें महिला किसानों ने अपने हस्तनिर्मित उत्पादों का आकर्षक प्रदर्शन किया, जिसे सभी ने सराहा। यह कार्यक्रम अनुसूचित जाति उप-योजना के अंतर्गत सफलतापूर्वक आयोजित किया गया।
