सांसों व नाम के बीच की यात्रा को जीवन कहते हैं : बिमल सर्राफ
रक्सौल : जीवन में संस्कार और संक्रमण दोनों ही एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलते हैं। संस्कार जगत में मानव सभ्यता का कल्याण करते हैं, जबकि संक्रमण बीमारी फैलाकर मानव सभ्यता का सिर्फ विनाश ही करते हैं। लायंस क्लब ऑफ रक्सौल के अध्यक्ष सह मीडिया प्रभारी सह सामाजिक कार्यकर्ता लायन विमल सर्राफ ने प्रेसवार्ता में विचार व्यक्त किया। अनुभव कहता है कि भौतिक रूप से धनवान होने के लिए भी आध्यात्मिक रूप से धनवान होना आवश्यक है और यदि ओछी मानसिकता (छल,कपट, झूठ,ठगी) से हमने धन अर्जित कर भी लिया तो ऐसा धन सुखदायी नहीं होता। परमात्मा सबको जानते हैं, मानवता को और उसके दिखावे की प्रवृति को भी। स्वप्न और आवश्यकता पूरा करने का प्रयास, उत्तरदायित्व निभाने में और डिजिटल डिवाइस, रील, दिखावों में निकल गया। शेष जीवन “चालाकियों” से किसी को कुछ देर तक “मोहित” किया जा सकता है, जहाँ “दिल” जीतने की बात आती है तो “सरल” और “सहज” होना आवश्यक है। हमेशा खुश रहना चाहिए क्योंकि परेशान होने से कल की मुश्किल तो दूर नहीं होगी, अलबत्ता आज का सुकून भी चला जाएगा, जब मनुष्य जन्म लेता है तो उसके पास सांसे तो होती है पर कोई नाम नहीं होता और जब मनुष्य की मृत्यु होती है तो उसके पास नाम तो होता है पर सांसे नहीं होती, इसी सांसों और नाम के बीच की यात्रा को “जीवन” कहते हैं। न किसी के अभाव में जीयें,न किसी के प्रभाव में जीयें,यह जिंदगी है आपकी,अपने स्वभाव में जीयें। हिम्मत का एक कदम बढ़ाएँ तो परमात्मा की संपूर्ण मदद आपके साथ है। मन का शांत रहना “भाग्य”, मन का वश में रहना “सौभाग्य”, मन से किसी को याद करना “अहोभाग्य” और मन से कोई याद करे वो है “परम सौभाग्य”।
छवि चित्र में साथ रहने से एक पल अविस्मरणीय बनता है जबकि “दुःख” में साथ रहने से पूरा जीवन अविस्मरणीय बन जाता है।
