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पटना: बिहार में सरकार भी दिव्यांग की भांति हो गई है। टोपी अब सरकार नहीं पहनती अपने मातहतों को पहना देती है । पदाधिकारियों के माथे पर गमले रख दिए जाते हैं। दिव्यांग सरकार के कार्यकाल में विधि व्यवस्था ध्वस्त है, तो अपराध एवं अपराधी पर पुलिसिया नियंत्रण पूरी तरह पंगु सा हो गया है। पुलिस अपराध एवं अपराधी के उद्भेदन के बजाय अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने का अवसर ढूंढने में लगी है। क्राइम और करप्शन दिव्यांग सरकार की पहचान बनती जा रही है। प्रदेश में शराब माफिया पुलिस पर हावी होते जा रहे हैं, माफिया पुलिस पर हमला कर वर्दीधारी को मौत के घाट उतार रहे हैं, क्या यही पुलिस का इकबाल है। महिला व पुरुष पुलिस पदाधिकारी खुलेआम रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार हो रहे हैं। बिचौलियों से पुलिस पदाधिकारी पार्टनरशिप में काम करने लगे हैं, बिचौलियों की भांति जमीन, भाई-बहन, मियां-बीवी के नाम पर खरीद विक्री कर रहे हैं। बिचौलिए आमजन को धमकी दे रहे हैं तो एफआईआर नहीं होता, बिचौलियों की एक आवेदन पर पुलिस एक पैर पर खड़ी रहती है। ऐसे में वरीय पुलिस पदाधिकारी बिचौलियों व भू माफिया के विरुद्ध कार्रवाई की बात करते हैं, कितनी हास्यास्पद बात है। राजधानी पटना में थाना से महज कुछ कदम की दूरी पर व्यवसाईयों की हत्या हो जाती है। पुलिस पर इसका कोई असर नहीं पड़ता। बिहार पुलिस की संवेदनहीनता पराकाष्ठा पर है। पटना पुलिस संवेदनहीनता के मामले में सबसे आगे है। वारदात के घंटों बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं होता। अपराधी, बिचौलिए, माफिया अपराध कर कोसों दूर निकल जाते हैं। पुलिस सीसीटीवी खंगालने के नाम पर चैन की बंसी बजाती है। कोई अपराधी हाथ लग गया तो बड़े साहब (एसपी/ डीजीपी/ एडीजी)प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वाह-वाही लूटते हैं, उसी में पत्रकारों को धमकी भी दे डालते हैं, फिर तो “आया राम, गया राम ही होता है”।
पटना पुलिस (पाटलिपुत्र थाना )की संवेदनहीनता एवं बड़े साहबों की कार्यशाली की एक सच्ची घटना का वाकया एक पत्रकार से जुड़ा है। पटना से प्रकाशित हिंदी दैनिक प्रभात खबर के वरीय संवाददाता शशि भूषण कुंवर के 22 अगस्त 2025 को बाइक से लगभग 10:30 बजे कार्यालय जाने के क्रम में बहुचर्चित अटल पथ के उदय चौक पर एक स्पोर्ट्स बाइक पर सवार दो लुटेरे पीछे से शशि के पीठ पर धीरे से हाथ रखकर पलक झपकते ही तीन उंगली से शशि का मोबाइल उपरी पॉकेट से निकाल कर फरार हो गए। शशि ने 1:59 में फतेहपुर थाना पर मौखिक एवं बाद में वारदात की लिखित शिकायत दिया। एक प्रमुख हिंदी दैनिक के वरिष्ठ पत्रकार के साथ बड़े मोबाइल छीनने की जानकारी होते ही राजधानी के पत्रकार समुदाय में हड़कंप मच गया। राष्ट्रीय हिंदी दैनिक अमर उजाला से जुड़े बिहार के पत्रकार कुमार निशांत ने 1:08 पर पटना के एसएसपी की मोबाइल नंबर 9431822967 पर कॉल किया। एसएसपी पटना ने मोबाइल कॉल रिसीव नहीं किया, कॉल फॉरवर्ड कर दिया। फॉरवर्ड काल उठाने वाले व्यक्ति ने पहले तो यह जानना चाहा कि किस मुद्दे पर एसपी साहब से बात करनी है। घटना के बारे में बताए जाने पर पर उसने कहा कि आप थाना जाइए। एसएसपी से बात नहीं होगी। शशि भूषण का लिखित आवेदन देर शाम तक पाटलिपुत्र थाना के टेबल पर धूल फांकता रहा। भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ के पूर्व राष्ट्रीय सचिव एवं सीनियर क्राइम रिपोर्टर एसएन श्याम ने शाम में 5:04 और 5:07 दो बार एसएसपी से मोबाइल पर बात करना चाहा। एसएसपी ने मोबाइल कॉल नहीं रिसीव किया। 5:06 पर दो बार कॉल करने पर पाटलिपुत्र थानाध्यक्ष विशाल से बात हुई । इंस्पेक्टर विशाल ने कोर्ट में रहने और दिनांक 21 अगस्त 2025 को क्षेत्र में दो भाई-बहन की हत्या काण्ड  के अनुसंधान में लगे रहने का बहाना बनाया। उन्होंने आश्वासन दिया कि काण्ड अंकित कराया लिया जाएगा। काण्ड अंकित कर आवेदक के मोबाइल पर भेज दिया जाएगा। परंतु शाम 7:45 तक शशि भूषण के साथ हुई घटना का काण्ड अंकित नहीं किया जा सका।
एक वरिष्ठ पत्रकार के साथ दिनदहाड़े मोबाइल छीलने की वारदात हो जाती है 7 घंटे बाद तक काण्ड अंकित नहीं किया जाता है, कन्नी काट लेते हैं, इंस्पेक्टर विशाल। बिहार के वरीय पुलिस पदाधिकारी बता सकेंगे कि क्या थानाध्यक्ष के नहीं रहने पर पाटलीपुत्र थाना में ताला लग गया? आखिर ओडी अऑफिसर किस लिए होता है। पुलिस थाना के साक्षर पुलिस (मुंशी) एवं अन्य ऑफिसर क्या करते हैं?
पटना पुलिस द्वारा चौक चौराहे पर लिखे स्लोगन” “पटना पुलिस आपकी सेवामें”, इसका निहितार्थ क्या है कि वारदात और पुलिसकर्मियों की संवेदनहीनता की सच्चाई क्या बयां कर रही है।

 

 

 

सहयोगी: वरिष्ठ क्राइम रिपोर्टर एसएन श्याम

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By Awadhesh Sharma

न्यूज एन व्यूज फॉर नेशन

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