Fri. Sep 12th, 2025

सन्तुष्टता एक श्रेष्ठ साकारात्मक ऊर्जा है, यह ऐसा गुण हैं जो जीवन में सुख शांति तो लाता ही है साथ ही साथ सफलता के ऊंचे शिखर पर भी पहुंचता है। संतुष्ट अर्थात् जो भरपूर है। तृप्त है। सहमत हैं अर्थात् जिसकी न शिकायत है। कि ऐसा नही होना चाहिए न अपेक्षा हैं कि ऐसा ही होना चाहिये, जो राजी हैं क्योंकि घटना के राज को जानता है। संतुष्टता कहती हैं। आज मुझे जो मिला है। उससे मै खुश हूँ आभारी हूँ और आज से बेहतर मेरा कल होगा। इसे विकास करना भी कहते हैं। हमे अगर श्रेष्ठ बनना हैं। तो अपनी ऊर्जा श्रेष्ठ सकारात्मक चीजो पर ही लगानी होगी। भीतर संतुष्टता है तो मेरा मन शांत रहता हैं बुद्धि स्थिर और एकाग्र रहती है। ऐसे मन में बुद्धि ही योग्य निर्णय लेकर भविष्य को बेहतर बना सकते है।

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