मुख्य अभियंता तारिणी दास का संरक्षक कौन ?
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पटना : राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने आरोप लगाया है कि भवन निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता (उतरी) तारिणी दास के यहां ईडी के छापामारी में मिले करोड़ों रुपए ने यह साबित कर दिया है कि बिहार सरकार पूर्ण रुप से भ्रष्टाचारियों के गिरफ्त में है। सरकार के शीर्ष स्थान पर बैठे लोगों के संरक्षण में काफी दिनों से भ्रष्टाचार का खेल संचालित है। राजद प्रवक्ता ने कहा है कि यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि तारिणी दास जैसे भ्रष्टाचारियों को कौन लोग संरक्षण दे रहे हैं, जब वे 31 अक्टूबर 2024 को मुख्य अभियंता पद से सेवानिवृत्त हुए, तो फिर उन्हें उसी पद पर किसके आदेश पर कैबिनेट की स्वीकृति के बिना दो वर्ष के लिए संविदा पर नियुक्त किए गए। ज्ञात हो कि श्री दास 31 अक्टूबर 2024 को सेवानिवृत्त होने के बाद 9 नवम्बर 2024 को संविदा पर नियुक्त कर लिया गया, जबकि उसकी स्वीकृति 19 नवम्बर 2024 की कैबिनेट की बैठक में दी गई। इतना हीं नहीं उन्हें भवन निर्माण निगम लिमिटेड का मुख्य महाप्रबंधक का भी अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया।राजद प्रवक्ता ने कहा कि भ्रष्टाचार का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है। एनडीए की सरकार में सेवानिवृत्त पदाधिकारियों को सेवा विस्तार अथवा उन्हें उसी पद पर संविदा के आधार पर बहाल किए गए पदाधिकारियों की एक लम्बी सूची है। इस सरकार को सेवानिवृत पदाधिकारी हीं चला रहे हैं, आखिर इसका राज क्या है? हालांकि इसका नकारात्मक प्रभाव सेवारत पदाधिकारियों के साथ हीं शासन व्यवस्था पर पड़ रहा है। राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा कि एक पूर्व मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्र के अनुशंसा पर जब पशुपालन विभाग के निदेशक को सेवा विस्तार दिये जाने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद पर भ्रष्टाचार का आरोप लग सकता है, तो बगैर किसी के अनुशंसा और कैबिनेट की स्वीकृति के तारिणी दास जैसे भ्रष्ट पदाधिकारी, जिसके ठिकानों से करोड़ों रुपए बरामद किए गए, उसे संविदा पर बहाल करना भ्रष्टाचार की किस श्रेणी में आएगा… ?