Wed. Mar 12th, 2025


पटना: कोयला-खदान प्रभावित क्षेत्रों में भूमि पुनरुद्धार के लिए वृक्षारोपण आधारित कृषिवानिकी मॉडलों का विकास भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने किया। उपर्युक्त संस्थान ने बिहार सरकार जलवायु-अनुकूल कृषि कार्यक्रम के माध्यम से गया और बक्सर जिलों के किसानों को फसलों की जलवायु-अनुकूल किस्में तथा उन्नत प्रोद्योगिकियाँ उपलब्ध कराईं। “निरंतर आय और कृषि स्थिरता के लिए सहभागी अनुसंधान अनुप्रयोग” कार्यक्रम के माध्यम से इस संस्थान कमजोर वर्ग के लगभग 12,000 किसानों के सशक्तिकरण वांछित सहायता प्रदान करते हुए, उन किसानों की आय में लगभग 20% से 25% की वृद्धि सुनिश्चित की जा रही है।संस्थान के राँची केंद्र ने परिशुद्ध कृषि तथा स्वदेशी फसल संरक्षण के लिए वांछित परिवारंकारी योजनाओं के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत 17.68 करोड रुपये का वित्तपोषण किया गया और अंतरजाति ग्राफ्टिंग, जैविक फल प्रणाली, कटहल मूल्य संवर्धन जैसे अनेक इनोवेशन के जरिये किसानों का सशक्तिकरण सुनिश्चित किया गया।भविष्य को देखते हुए, इस संस्थान का उद्देश्य स्मार्ट तकनीकों, सटीक उपकरणों और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के साथ टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना है। इसका लक्ष्य भविष्य की जलवायु चुनौतियों का समाधान करना, युवाओं को कृषि की ओर आकर्षित करना और उद्यमिता को बढ़ावा देना है। पूर्वी क्षेत्र के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना की 25 वर्षों की यात्रा कृषि और किसानों को सशक्त बनाने के प्रति इसके अटूट समर्पण को दर्शाती है। जैसे-जैसे संस्थान नवाचार और सहयोग में आगे बढ़ रहा है, यह पूर्वी भारत में कृषि प्रगति का एक अहम स्तंभ बना हुआ है, जो “विकसित भारत” की दिशा में एक स्थिर और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित कर रहा है।

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By Awadhesh Sharma

न्यूज एन व्यूज फॉर नेशन

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