Wed. Feb 5th, 2025

शिवबाबा तेरे प्यार का वर्णन किया ना जाए।
यह दिल ही अनुभव कर सकता,
शब्दों में कहा न जाए।
ज्यो अंधे को मिल रोशनी, प्यासे को ज्यों पानी , यह तो गुड है गूंगे  का, जो कहा ना सके जुबानी, सागर जितना प्यार तेरा गागर में  कहां समाएं।
यह दिल ही अनुभव कर सकता
प्यार तेरा मीठा बंधन है। ज्यों रेशम की डोरी, अखियां अपलक तुझे निहारे ज्यों चंदा का चकोरी, दिल में लगी प्रेम की अग्नि कभी न बुझने पाए।
यह दिल ही अनुभव कर सकता
प्यार तेरा शीतल छाया, यहां धूप का एहसास नही,
तपते उर पर बहती रहती ज्यो स्नेहमयी बरसात कहीं,
इसी स्नेह धारा ने मन के सारे पाप धुलाए।
यह दिल ही अनुभव कर सकता,

Spread the love

Leave a Reply