Wed. Feb 5th, 2025

शरीर और मन के आरोग्य को संतुलित रखने के लिए संतुलित आहार की जरुरत है। पुरातन काल से ऋषि मुनियों ने संशोधन करके संतुलित आहार पर वैधकीय शास्त्रों में कुछ बाते कही है। हम जो भी खाते है उसका प्रभाव हमारे मन की भावनाओं पर अवश्य पडता है। इसीलिए कहते है, जैसे अन्न वैसा मन। जैसा पानी वैसी वाणी। जैसा मन वैसे विचार जैसे विचार वैसी भावना जैसी भावना वैसे कर्म जैसे कर्म वैसा फल और जैसे फल वैसे ही सुख और दुख का एहसास।

Spread the love

Leave a Reply