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27वीं शोध परिषद की बैठक 19-20 जून 2024

भागलपुर: बिहार कृषि विश्विद्यालय सबोर भागलपुर की 27वीं शोध परिषद की बैठक 19-20 जून 2024 का विधिवत उद्घाटन दिनांक 19 जुन 2024 को बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के मुख्य प्रेक्षागृह में कुलपति डाॅ.डी.आर.सिंह ने दीप प्रज्वलन कर किया। जिसमें बाहर से आये प्रसिद्ध विशेषज्ञ डाॅ.सी.पी. सचान, भूतपूर्व अधिष्ठाता (कृषि), चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं तकनीकि विश्वविद्यालय, कानपुर, उत्तरप्रदेश, डाॅ.आर.एस.सिंह, भूतपूर्व मुख्य वैज्ञानिक एवं प्रधान, आई.सी.ए.आर.-एन.बी.एस.एस. एण्ड एल.यू.पी. उदयपुर, राजस्थान, निदेशक शोध डाॅ. अनील कुमार सिंह तथा दो प्रगतिशील महिला कृषक नीतू देवी, कुमारी संगीता और शशिकुमार के साथ साथ विश्विद्यालय पूरे बिहार से आये हुए वैज्ञानिक भी शामिल रहे। उद्घाटन सत्र का शुभारम्भ करते हुए कुलपति ने दोनों आमंत्रित विशेषज्ञों का स्वागत पुष्प गुच्छ, अंग वस्त्र एवं मोमेन्टो भेंटकर किया। खरीफ और रबी मौसम की शुरूआत में शोध परिषद की बैठक प्रतिवर्ष दो बार की जाती है। इस बैठक में विश्वविद्यालय में चल रहे विभिन्न परियोजनाआंे की प्रगति पर चर्चा होती, किसानों की समस्याओं के निराकरण को नई परियोजनाओं का प्रारूप तय होता है और नये-नये प्रभेदों और विकसित तकनीकों को किसानों के लिए रिलीज भी किया जाता है। ये सारे कार्य मुख्य रूप से कुलपति के दिशा-निर्देश में निदेशक शोध के कुशल संचालन से सफल होता है। इस महत्वपूर्ण बैठक में सभी विशिष्टगणों का स्वागत करते हुए निदेश शोध, डाॅ. अनील कुमार सिंह ने विश्वविद्यालय में चल रहे शोध कार्यों की जानकारी से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में कुल 390 परियोजना चल रहे हैं जिनमें 270 पूर्ण हो चुकें है और इस वर्ष खरीफ में कुल 210 नये प्रोजेक्ट का स्वीकृति मिलने वाली हैं। उन्होंने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय के कुशल निर्देशन के परिणामस्वरूप कतरनी धान एवं लीची उत्पादकों के राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत भी किया गया है। शोध-निदेशालय, किसानों के हित में निरंतर कार्य कर रहा है और उसी क परिणाम है कि विश्वविद्यालय के तेरह वर्ष की अल्पायु में तेरह पेटेंट सहित 5 उत्पादों को जी.आई.प्रमाण पत्र मिलें हैं, 69 तकनीकों को रिलीज किया गया है और मक्का, आम, बैगन, लहसुन के प्रभेद भी रिलीज किये गये।

डाॅ. आर.एस.सिंह ने अपने उद्बोधन में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, टाल एवं दियारा क्षेत्रों के विकास पर बल दिया और विश्वविद्यालय के द्वारा उन क्षेत्रों में चल रहे कार्यों की प्रशंसा की। डाॅ.सी.पी. सचान ने यह सुझाव दिया कि पारंपरिक तकनीकी को साथ में लेकर ही नई तकनीकों का विकास करें और नये प्रभेदों को बढ़ायें। इस कार्य में सभी विभागों का सामंजस्य एवं सहयोग होना आवश्यक है। उन्होंने सीड रिप्लेसमेंट को बढ़ावा देने और कम पानी वाली फसलों को फसल विविधिकरण में शामिल करने की सलाह दी। डाॅ.सचान ने ऐसी तकनीक को विकसित करने पर जोर दिया जो किसानों के क्रय-शक्ति की सीमा में हो और टिकाउ उत्पादन के लिए श्रेयष्कर भी हो। अध्यक्षीय भाषण/उद्बोधन में कुलपति डाॅ.डी. आर. सिंह मौसम परिवत्र्तन को ध्यान में रखकर प्रभेदों और तकनीकों का विकसित करने की सलाह दिये। उन्होंने खरीफ मक्का उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए तकनीकों को विकसित करने का सुझाव भी दिया।
कुलपति ने पारंपरिक फसलों और पारंपरिक तकनीकि अनुभवों के संरक्षण पर भी बल दिया। अपने उद्बोधन में उन्होंने यह संदेश दिया कि उसी बीज का उत्पादन करें जो किसानों की माँग हो। जल-संसाधन के लिए फर्टीगेशन तकनीक का प्रत्यक्षण बड़े क्षेत्रफल में कराने, पारम्परिक पौधाों एवं औषधीय पौधों से कीटनाशी, रोगनाशक दवा बनाने और अन्तवर्ती फसलों को बढ़ावा देने की भी सलाह दी गयी। उन्होंने एम.एस.सी. एवं पी.एच.डी. के छात्रों को अपने समय का 10% हिस्सा प्रयोगशाला में बिताने का निर्देश भी दिया। अपने अभिभाषण के अंत में उन्होंने सभी नये वैज्ञानिकों को प्रोजेक्ट लीडर/इन्भेस्टीगेटर बनकर अपने वरीय वैज्ञानिक को साथ लेकर कार्य करने की सलाह दी। उद्घाटन सत्र के बाद तकनीक सत्र प्रारंभ कर दिया जिसमें क्रमवार संबंधित वैज्ञानिकों के द्वारा परियोजना की प्रगति पर विचार-विमर्श चल रहे है।

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By Awadhesh Sharma

न्यूज एन व्यूज फॉर नेशन

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