शरीर के मात पिता की दुआयें होते हुए भी जीवन में अनेको उत्तार चढ़ाव होते है। इसलिए पारलौकिक मात पिताको याद करते है। उनकी दुआये ही सब दुखो से छुड़ाने वाली है। जब तक उनके नही बनते है। तब तक उनकी दुआओ के अधिकारी भी नही बनते है।
आज्ञाकारी बनो
सुखद जीवन के लिए आज्ञाकारिता का गुण बेहद जरुरी है। मात पिता का आज्ञाकारी बनने से उनकी आशीर्वाद के पात्र बनते है उनके सिरमौर बनकर रहते हैं, उनका स्नेह और सहयोग प्राप्त होता है। परिवार में खुशहाली और शान्ति बनी रहती है। शिक्षक का आज्ञाकारी बनने से पढ़ाई में प्रवीण एवं पास होते है। संस्कारी बनते है। शिक्षक को गर्व होता है उनका एक दिशा विशेष मार्गदर्शन मिलता है। उनके साथ सम्बन्ध मधुर होता है। अपने से बडो का आज्ञाकारी बनने से आगे बढ़ने का मार्ग सुगम होता है।