जातिगत सर्वेक्षण कराकर नीतीश और लालू ने अपने मुंह पर खुद कीचड़ लपेट लिया है :प्रशांत किशोर
पटना: जन सुराज सुप्रीमो प्रशांत किशोर ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण और नीतीश सरकार की ओर से कराए गए जातिगत सर्वेक्षण की पोल फिर से खोलते हुए कहा कि बिहार सरकार ने जो जातिगत सर्वेक्षण कराया है, ऐसा करके इन्होंने अपने मुंह पर खुद कीचड़ लपेट लिया है। प्रशांत किशोर ने कहा कि संविधान अंतर्गत आरक्षण की जो व्यवस्था बनाई गई है, उससे इन्हें अवसर की समानता, शिक्षा में और रोजगार के लिए पूंजी में दी जाए। दलित और पिछड़े समाज के जो बच्चे पीछे हैं, उनके बच्चों को पूंजी दी जाए, जिससे कि वे रोजगार कर सकें। संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है लेकिन धार्मिक आधार पर कही आरक्षण की व्यवस्था नहीं है। अच्छे स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था में आरक्षण देना चाहिए, जिससे आरक्षित वर्ग प्रगति कर सकें। जिससे वे आगे समान प्रतिस्पर्धा कर सकें। उनको भूमि का आवंटन किया जाय, जिससे वो अच्छी खेती-किसानी कर सकें। सिर्फ सरकारी नौकरी में आप आरक्षण करेंगे और दूसरा कुछ नहीं करेंगे, तो इससे समाज को लाभ नहीं मिलेगा।
लालू यादव- नीतीश कुमार को जनता को देना होगा जवाब: प्रशांत किशोर
दरभंगा के हनुमाननगर में पत्रकार वार्ता के दौरान प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि 32 वर्ष से सत्ता के शीर्ष पर काबिज लोग सामाजिक न्याय की राजनीति कर रहे हैं। इन विगत वर्ष में बिहार में सत्ता पर लालू यादव और नीतीश कुमार का ही राज रहा। अगर वंचित वर्गों के साथ अन्याय हुआ है और इनको लाभ नहीं मिला है और ये वंचित रह गए, तो इसके लिए दोषी सत्ता में बैठे लोग ही हैं। लालू और नीतीश को ये जवाब देना चाहिए कि 32 वर्ष में सामाजिक न्याय के नाम पर राजनीति करने के बाद आपने इनके लिए क्या किया? न कि उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी, न ही उनकी शैक्षणिक स्थिति सुधरी और न ही सरकारी नौकरियों में उनकी संख्या बढ़ी। अब फिर आप कह रहे हैं कि इसको 50 से 65 और फिर 80 प्रतिशत करेंगे। जो भी आपको करना है कर लीजिए, उससे कोई लाभ नहीं है। उधर प्रबुद्धजनों का कहना है कि 32 वर्ष के शासन काल खंड में भाजपा नीतीश कुमार के साथ 17 वर्ष भागीदार रही है। इसलिए बिहार की जनता भाजपा, राजद और जदयू को छोड़ जन सुराज से उम्मीद लगाए बैठी है।