अब कलयुग के अंत और सतयुग के आदि के संगम पर ज्ञान सागर परमात्मा शिव जो निराकार है। ब्रहा्रा के साकार तन का आधार लेकर हम आत्माओ को हमारा स्वयं का हमारे निवास स्थान का सृष्टि के आदि मध्य और अंत का ज्ञान देकर पवित्र बनाने की शिक्षा और राजयोग का अभ्यास करा रहे है। क्योकि पवित्रता ही सुख शान्ति की जननी है। पवित्रता ही आने वाले युग सतयुग की आवश्यकता है।
परमात्मा नई दुनिया स्वर्ग के लिए आदि सनातन देवी देवता धर्म की स्थापना पवित्रता के बल से ही करते है। और देवी देवता धर्म के गृहस्थ आश्रम में योगबल सें संतति होती है। जैसे कि आत्मा अपने पिछले जन्म के संस्कार तो ले आती है। परंतु स्मृति नही। इसी प्रकार आत्मा में पवित्रता के जो संस्कार परमात्मा शिव संगमयुग में ज्ञान के द्वारा भर रहे है। और उसे आत्मा सतयुग में ले जाएगी।