‘समृद्ध कृषि, सशक्त किसान’ का संकल्प
तीन दिवसीय किसान मेला 2025 सम्पन्न

पटना: राष्ट्रीय किसान दिवस के अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में “अनुसंधान से आत्मनिर्भरता की उड़ान – समृद्ध कृषि, सशक्त किसान” थीम पर आयोजित दो दिवसीय किसान मेला–2025 का समापन हुआ। मेला अंतर्गत संस्थान परिसर में कृषक-वैज्ञानिक संवाद, कृषि प्रदर्शनी, प्रक्षेत्र भ्रमण एवं लोक नृत्य का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि दीघा विधानसभा, पटना के विधायक डॉ. संजीव चौरसिया ने कृषि प्रदर्शनियों का अवलोकन कर उत्कृष्ट प्रदर्शनी की प्रशंसा किया। संस्थान विकसित धान, फल एवं सब्जियों की उन्नत प्रभेद (किस्मों) एवं तकनीक को किसानों से बढ़-चढ़कर अपनाने का आह्वान किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में विकसित भारत–रोज़गार गारंटी एवं आजीविका मिशन (ग्रामीण) अधिनियम, 2025 (वीबी–जी राम जी अधिनियम, 2025) के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह अधिनियम ग्रामीण क्षेत्रों में सुनिश्चित रोजगार, आय सुरक्षा, कौशल विकास तथा स्थानीय संसाधनों के विकास के माध्यम से समावेशी ग्रामीण विकास को सुदृढ़ करेगा।
संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने कहा कि किसान मेले की थीम “अनुसंधान से आत्मनिर्भरता की उड़ान – समृद्ध कृषि, सशक्त किसान” के अनुरूप संस्थान तथा इसके सभी केंद्र पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ अन्नदाताओं की आजीविका सुदृढ़ीकरण, पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की दिशा में निरंतर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए अधिक से अधिक किसानों एवं अन्य हितधारकों को संस्थान से जुड़ने पर जोर दिया|
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि डॉ. निर्मल सिंह दहिया, निदेशक (प्रसार शिक्षा), बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना ने संस्थान द्वारा किये जा रहे कार्यों की प्रशंसा की। उन्होंने मृदा स्वास्थ्य पर जोर देते हुए रासायनिक उर्वरकों का अनुशंसित मात्रा में उपयोग करने तथा गाय के गोबर एवं गोमूत्र का खाद के रूप में सदुपयोग करने की सलाह दी। डॉ. उज्जवल कुमार, आयोजन सचिव ने कार्यक्रम में स्वागत भाषण दिया। डॉ. आशुतोष उपाध्याय, प्रमुख, भूमि एवं जल प्रबंधन प्रभाग एवं ब्रह्मकुमारी से आयीं बीके अंजू ने भी अपने विचार किसानों के साथ साझा किया।
इस क्रम में कृषक-वैज्ञानिक संवाद का आयोजन भी किया गया। जिसमें किसानों को प्राकृतिक खेती, जलवायु-अनुकूल कृषि, मोटे अनाजों की खेती तथा रबी फसलों के लिए उन्नत प्रबंधन पद्धतियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। कृषक–वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम के दौरान किसानों ने अपनी क्षेत्र-विशेष समस्याएँ वैज्ञानिकों के समक्ष रखीं, जिनका व्यावहारिक एवं वैज्ञानिक समाधान प्रस्तुत किया गया। किसानों ने संस्थान में समेकित कृषि प्रणाली, पोषण वाटिका, मत्स्य पालन, फसल विविधीकरण, कुशल जल प्रबंधन, वर्षभर चारा उत्पादन तथा बकरी, भैंस, गाय और कुक्कुट पालन जैसी उन्नत पशुपालन गतिविधियों का अवलोकन किया, जिससे वे अत्यंत प्रेरित एवं प्रोत्साहित हुए। प्रगतिशील किसानों ने अपने अनुभव साझा किए तथा उत्कृष्ट योगदान देने वाले किसानों एवं उत्कृष्ट प्रदर्शनी लगाने वाले संस्थाओं को सम्मानित भी किया गया। किसान मेला में लगभग 2120 लोगों ने सहभागिता हुई। डॉ. धीरज कुमार सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
